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- फसल कटते ही पहले...
लखनऊ: वर्तमान में रबी की फसलें कट चुकी हैं या पकने के कगार पर हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फसल कटते ही अगली फसल के लिए खेतों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। फसल कटने के बाद खेतों में गोबर की खाद और गहरी जुताई करना जरूरी है।
इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डा. मुनीष का कहना है कि खेत में पिछली फसल के बचे हुए भाग, खरपतवार, पत्थर एवं मिट्टी के ढ़ेलों को हटाने के लिए 3-4 बार कल्टीवेटर का उपयोग करते हुए जुताई का कार्य करना चाहिए। अंतिम बार जुताई करते समय मिट्टी में 75 किग्रा. नाइट्रोजन हे. के समतुल्य, जैविक (गोबर की खाद 15 टन प्रति हेक्टेयर अथवा पोल्ट्री की खाद 7.5 टन प्रति हेक्टेयर या वर्मीकम्पोस्ट 7.5 टन प्रति हेक्टेयर खाद मिलानी चाहिए। गहरी जुताई करने के पश्चात खेत को न्यूनतम 15 दिन धूप लगने के लिए छोड़ देना चाहिए। इससे खरपतवान खत्म हो जाएंगे। इसके साथ ही मिट्टी पलट जाने से बेहतर खेत की पैदावार क्षमता बढ़ जाती है।
अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि जमीन को समतल करने के पश्चात सही आकार की क्यारियां बनानी चाहिएं। आमतौर पर 1.5-2.0 मीटर चैड़ी एवं 4-6 मीटर लंबी सपाट क्यारियां बनाई जाती हैं।, लेकिन, खरीफ अथवा वर्शाकाल के लिए सपाट क्यारियां न तैयार की जाएं, ताकि इनमें जलभराव को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि खेतों के प्रति सालभर सजग रहने की जरूरत होती है। उन्हें तैयार करने की प्रक्रिया पर किसानों को विशेष ध्यान देना चाहिए।