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मेरठ में मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़, आयुष्मान योजना में नाम भी नकली
प्रेमदेव शर्मा, मेरठ: मेरठ (meerut news) में नर्सिंग होम में इलाज के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है। शहर के एक प्रतिष्ठित यूरो सर्जन के नाम पर किसी अन्य ने मरीज की सर्जरी कर दी। नर्सिंग होम से मरीज को दी गई डिस्चार्ज स्लिप में डॉक्टर का आधा नाम और पंजीकरण में थोड़ा हेराफेर कर लिखा गया। इतना ही नहीं सर्जन का नाम आयुष्मान (ayushman yojna scam) पैनल में भी दर्ज कर दिया, जिसकी उसे जानकारी तक नहीं है। खुलासा होने पर सीएमओ डॉ अखिलेश मोहन ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर पूरे मामले की जांच का आदेश दिया।
शुक्रवार को जांच टीम ने नर्सिंग होम पहुंचकर अपनी जांच शुरू कर दी है। डॉक्टर आईएमए से शिकायत कर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। चर्चा है कि बिना स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नहीं है।
ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत खराब हुई थी
मिली जानकारी के अनुसार गढ़ रोड, गोकुलपरी स्थित एक नर्सिंग होम में देवेन्द्र नाम के 45 वर्षीय मरीज का ऑपरेशन हुआ था। इसके बाद 15 जुलाई को मरीज को डिस्चार्ज किया गया। डिस्चार्ज स्लिप पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम डॉ शरत चंद्र छपा था। डॉक्टर की मुहर पर उनका पंजीकरण नंबर भी था। एक सप्ताह बाद मरीज की हालत अचानक बिगड़ गई, तो वह न्यूटिमा अस्पताल में डॉ शरत चंद्र को दिखाने पहुंचा।
डॉक्टर रहे गए हैरान
डिस्चार्ज स्लिप देख कर डॉ. शरत चंद्र हैरान रह गए। डॉ. शरत चंद्र का कहना है कि उन्होने उस मरीज का ऑपरेशन किया ही नहीं है। जिस नर्सिंग होम से उनके नाम पर डिस्चार्ज स्लिप दिया गया है, उस अस्पताल में न तो वे पेशेंट देखते हैं, और न ही ऑपरेशन करते हैं। डिस्चार्ज स्लिप पर उनका नाम भी आधा है और पंजीकरण नंबर भी सही नहीं है।
आयुष्मान योजना के पैनल में भी नहीं थे डॉक्टर
इसके अलवा बताया गया कि मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया गया था। डॉ शरत का नाम फर्जीवाड़ा कर आयुष्मान पैनल में भी दर्ज कर दिया गया था, जिसकी उन्हें जानकारी भी नहीं है।
'इस तरह के कई मामले सामने आए हैं'
न्यूटिमा के यूरोलॉजिस्ट डॉ शालीन शर्मा का कहना है कि इस तरह के कई मामले अब सामने आ रहे हैं। गढ़ रोड व शहर के बाहरी हिस्सों में बने नर्सिंग होम में प्रतिष्ठित डॉक्टरों के नाम पर ऑपरेशन किए जा रहे हैं। यह बहुत गंभीर समस्या है। सीएमओ और आईएमए से शिकायत करने के साथ ही डॉक्टर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। सीएमओ डॉ अखिलेश मोहन का कहना है कि शिकायत मिलने पर एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर जांच उसे सौप दी गई है।
पुलिस ने दर्ज किए बयान
शुक्रवार को जांच टीम ने नर्सिंग होम पहुंच कर संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए हैं। विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत की बात पूछने पर सीएमओ ने चुप्पी साध ली। वहीं जानकारों का कहना है कि आयुष्मान पैनल में आने के लिए डॉक्टरों को अपने रजिस्ट्रेशन से संबंधित डाक्युमेंट देने होते हैं। जानकारों का मानना है कि सीएमओ के कार्यलय से डॉक्टरों के कागजात निकाल कर यह फर्जीवाड़ा किया गया है, जो विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत के बिना संभव नहीं है।