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वारदातों से दहल उठे लोग, हर दिन आबरू पर हो रहा वार संवेदनहीन बनी पुलिस
पॉक्सो जैसे अधिनियम बनने के बाद दुस्सासी दरिंदे बेटियों और महिलाओं की अस्मत पर वार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पुलिस की संवेदनहीनता के कारण दुष्कर्म हो या फिर दुष्कर्म की कोशिश या फिर छेड़छाड़। पुलिस इन मामलों में पीड़ितों को थाने से भगा देती है। यदि तहरीर भी ले लेती है तो कार्रवाई के नाम पर खानापूरी करती है। आला अफसर भी सिर्फ आश्वासन देकर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं। थाना भीरा क्षेत्र में हुई दुष्कर्म से असफल युवकों की पिटाई से किशोरी की मौत मामला इसकी जीती जागती नजीर है।
दिल्ली में निर्भया कांड के बाद महिला अपराधों को लेकर कानून को काफी सख्त किया गया था। पॉक्सो जैसे अधिनियम बनाए गए थे ताकि महिला अपराध करने वालों में कानून का खौफ रहे और वह अपराध करने से पहले एक बार सोचने पर मजबूर हों। भाजपा की योगी सरकार ने प्रदेश के सभी थानों पर महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की थी। इसके पीछे सरकार की मंशा यह थी कि अपने साथ होने वाले अपराधों की पूरी बात पीड़ित महिलाएं, बेटियां पुलिस अफसरों से कह नहीं पाती हैं।
महिला हेल्प डेस्क के जरिए वह अपनी बात को बेहिचक महिला पुलिसकर्मी को बता सकेंगी। इसके साथ ही सरकार ने महिलाओं के साथ अपराध करने वालों से सख्ती से निपटने के आदेश भी दे रखे हैं, लेकिन धरातल पर इन आदेशों का कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह पुलिस की मनमानी कार्यप्रणाली और घटनाअ ों पर कार्रवाई की बजाय उन पर पर्दा डालने की कोशिश मानी जा रही है।
जिसका जीता जागता उदाहरण थाना भीरा क्षेत्र में दुष्कर्म करने से असफल युवकों की पिटाई से घायल हुई युवती की मौत का मामला है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की। पुलिस यदि घटना को नहीं छुपाती। आरोपियों के खिलाफ उसी दिन कड़ी कार्रवाई कर घायल युवती का बेहतर उपचार कराती तो शायद युवती की न तो मौत होती और न ही पुलिस की किरकिरी होती।
एक महीने में थाना निघासन क्षेत्र में दो नाबालिग बहनों की दुष्कर्म के बाद हत्या समेत दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की जिले में चार घटनाएं हो चुकी हैं। इसके अलावा चार लोगों की हत्या की जा चुकी है। छेड़छाड़ की घटनाओं की भी बाढ़ सी आई है। एक महीने में पुलिस के रिकॉर्ड में 13 से 17 साल की किशोरियों को बहला फुसलाकर ले जाने के 80 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। छेड़छाड़ के मामले भी करीब 58 पुलिस रिकॉर्ड में आए हैं। इससे साफ है कि जिले में लगातार महिला अपराध बढ़ रहे हैं। पुलिस अपराध का ग्राफ न बढ़े। इसको लेकर रिपोर्ट दर्ज करने में खेल करती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी नहीं रखा ख्याल, महिला की जगह पुरुष ने दर्ज किए बयान
थाना भीरा पुलिस युवती की मौत के मामले को लेकर शुरुआत से ही बेहद लापरवाह रही। वह घटना को छुपाने के लिए कदम कदम पर गलतियां भी करती रही। शीर्ष अदालत का साफ निर्देश है कि पीड़ित महिला के बयान महिला पुलिस कर्मी ही लेगी, ताकि पीड़ित महिला अपनी पूरी बात कह सकेगी।
इसके लिए थानों पर महिला हेल्प डेस्क भी बनी है, लेकिन घटना को छुपाने में जुटी पुलिस ने एक और बड़ी गलती कर दी। पुलिस ने अपने बचाव में जो वीडियो पीड़ित की मां के बयानों का जारी किया है। इसमें पुरुष पुलिसकर्मी ही उससे पूछताछ कर बयान रिकॉर्ड कर रहा है। जबकि नियमानुसार इन बयानों को महिला पुलिसकर्मी को रिकार्ड करना चाहिए था, ताकि पीड़ित महिला खुलकर अपनी पूरी बात कह सकती। मीडिया सेल पर पीड़ित महिला का जारी किया गया यह वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है। एसपी संजीव सुमन का कहना है कि वह इस मामले की जांच कराएंगे।
राजनीतिक दलों के नेताओं का भी लगा रहा जमावड़ा
जिला मुख्यालय से पोस्टमार्टम के बाद जब शव मृतक युवती के गांव पहुंचा तो सपा के पूर्व एमएलसी शशांक यादव, पूर्व विधायक सपा विनय तिवारी के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंचे। पीड़ित परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। साथ ही हर संभव मदद करने और उनकी कानूनी लड़ाई लड़ने का भी भरोसा दिलाया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने कहा पिछले दस दिनों के भीतर ये तीसरी घटना है, जिसने लखीमपुर खीरी को हिला कर रख दिया है। सरकार बस वादों में उलझी हुई है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा उसके बस के बाहर की बात साबित होती जा रही है। लगातार लखीमपुर खीरी का नाम एक के बाद एक जघन्य अपराधों में आ रहा है, जिससे हमारी पीड़ा असहनीय होती जा रही है।
कांग्रेस करती है जो भी इस अपराध के पीछे है। सरकार उन्हें कड़ी से कड़ी सजा और पीड़ित परिवार को राहत दें। इस दौरान प्रदेश महासचिव रामकुमार वर्मा, संजय गोस्वामी, राजेंद्र गुप्ता, नीरज बाजपेई, अब्दुल रहीम, रवि गोस्वामी, अवनीश यादव, प्रदीप सिंह रघुनायक, पंकज पटेल आदि कांग्रेसी मौजूद रहे।
न्यूज़क्रेडिट: amritvichar