उत्तर प्रदेश

महायोजना 2031 के प्रारूप को देख लोग हुए नाराज, पहले ही दिन 100 से ज्यादा आपत्तियां हुई दर्ज

Shantanu Roy
6 Sep 2022 12:07 PM GMT
महायोजना 2031 के प्रारूप को देख लोग हुए नाराज, पहले ही दिन 100 से ज्यादा आपत्तियां हुई दर्ज
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बड़ी खबर
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में विकास प्राधिकरण (जीडीए) की नई महायोजना 2031 के प्रारूप को राज्य के लोगों के सामने पेश कर दिया गया है। जिसको देखने के बाद लोगों ने महायोजना 2031 के प्रारूप के प्रति नाराजगी दिखाई है और इसे न पसंद किया है। लोगों का कहना है कि यह महायोजना, 2021 की महायोजना की तरह ही दिख रही है। इसमें कुछ ज्यादा बदलाव नहीं नजर आ रहा। लोगों ने इस महायोजना के प्रति नाराजगी जताते हुए पहले दिन ही 100 से अधिक आपत्तियां दाखिल की हैं। बता दें कि जिले के विकास प्राधिकरण (जीडीए) भवन की नई महायोजना 2031 के द्वितीय तल पर स्थित सहयुक्त नगर नियोजक के कार्यालय में प्रदर्शित प्रारूप को देखने के बाद लोगों ने नाराजगी जताई है। इससे नाराज लोगों ने 100 से अधिक आपत्तियां दाखिल की हैं। साथ ही लोगों का यह भी कहना है कि, महायोजना 2021 में कई समस्याओं का समाधान देने में नाकाम रही थी।
जिसके चलते नई महायोजना का सभी लोग इंतजार कर रहे थे। जैसे ही प्रारूप को सार्वजनिक किया गया, उसे देखने वालों की भीड़ लग गई। अभी बुकलेट छपकर नहीं आई है लेकिन मानचित्र देखकर ही लोगों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, जिन क्षेत्रों में लोगों को संचालित गतिविधियों के अनुसार भू उपयोग में परिवर्तन की उम्मीद थी, उन्हें भी झटका लगा है। तकनीकी पेंच के चलते ग्रीन बेल्ट, ओपेन स्पेस एवं विनियमितीकरण जैसे मुद्दे इस प्रारूप में भी अनुत्तरित ही नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही सामुदायिक भू उपयोग एवं अन्य तरह के भू उपयोग में परिवर्तन को लेकर उम्मीद भी टूटी है। पूरी तरह से पुरानी महायोजना जैसा प्रारूप आने से लोगों के सामने केवल आपत्ति एवं सुझावों का ही सहारा रह गया है। उधर, महायोजना 2031 के प्रारूप को महायोजना 2021 जैसा ही पेश कर देने को लेकर नियोजन विभाग का अपना तर्क है।
आपत्ति दर्ज करते समय इन धाराओं का उल्लेख जरूरी
महायोजना के प्रारूप में परिवर्तन नहीं किया गया है लेकिन आम लोग स्वयं ही आपत्ति दर्ज कर परिवर्तन की अपील कर सकते हैं। आपत्ति दर्ज करते समय उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 54 व 55 का उल्लेख करना जरूरी होगा। इस धारा में कहा गया है कि यदि घोषित ग्रीन लैंड को 10 साल तक अधिग्रहीत नहीं किया जाता है तो भूखंड का मालिक छह महीने में जैसा है, उसी स्थिति में भू उपयोग निर्धारित करने की नोटिस दे सकता है। यानी यदि आवासीय उपयोग हो रहा है, तो उसी के रूप में भू उपयोग के लिए मांग जायज होगी। इसी तरह हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 2020 में अनुज सिंघल बनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश के मामले में ओपेन स्पेस का भू उपयोग परिवर्तित करने का आदेश दिया था।
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