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मुजफ्फरनगर: कवाल से चर्चित हुए खतौली के पूर्व विधायक विक्रम सैनी पहली बार चुनाव जीतने के बाद ही कटीली बयानबाजी को लेकर चर्चाओं में रहते थे। कभी धार्मिक बयानबाजी तो कभी दूसरे समाज को निशाना बनाकर उन्होंने सोशल मीडिया की सुर्खियां बटौरी थी, जिसका नतीजा यह निकला कि उनका वोटर तो एकजुट हो गया। दूसरी बार वह एमएलए बनने में कामयाब भी हुए, मगर दूसरी बार विधायक बनने का बाद अदालत का फैसला आया, तो उन्होंने सीधे रालोद जयंत व उनके पिता अजित सिंह को लेकर टिप्पणी कर दी, जिसका दुष्प्रभाव उपचुनाव में दिखाई दिया। पूर्व विधायक विक्रम सैनी वर्ष 2013 से पूर्व कवाल क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए थे, इस बीच साम्प्रदायिक दंगे में उन्हें जेल जाना पड़ा। जेल से आने के बाद उन्होंने अपनी छवि कट्टर हिन्दुत्व से जोड़कर बना ली। इसी के साथ भाजपा हाईकमान ने उन्हें खतौली से टिकट दिया। विधायक बनने के बाद उनका व्यवहार पूरी तरह से बदल गया। कभी ब्राहमण समाज को निशाना बनाया, तो कभी मुस्लिम धर्म पर सीधी टिप्पणी कर डाली। उनकी बयानबाजी को लेकर कई बार हाईकमान ने भी उन्हें हिदायत दी, लेकिन वह नहीं माने।
इस बीच अदालत के फैसले पर उन्हें विधायक पद से अयोग्य घोषित किया गया, तो उन्होंने रालोद सुप्रीमों जयंत चौधरी व उनके पिता चौधरी अजित सिंह पर तीखी टिप्पणी कर डाली, जिसमें उन्होंने कहा था कि अजित को तो हराकर भेजा ही था, हिम्मत है, तो जयंत भी मैदान में आकर चुनाव लड़ ले, जमानत जब्त करा देंगे। इस टिप्पणी से रालोद समर्थक काफी आहत थे।
चुनाव में इस वीडियो को काफी वायरल किया गया। रालोद समर्थकों ने एकजुट होकर उनके विरोध में मतदान किया, यहां तक कि वर्ष 2022 के चुनाव में जाट समाज का जो पचास प्रतिशत वोट भाजपा को मिला था, वह भी इस बार खिसककर रालोद की झोली में चला गया। एक आंकड़े के मुताबिक इस बार रालोद को जाट समाज का 80 प्रतिशत तक वोट मिला।