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लखनऊ न्यूज़: एसजीपीआई से तमाम सरकारी अधिकारी-कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिजन बिना इलाज के लौटाए जा रहे हैं. यहां तक कि सिकाई करा रहे कैंसर रोगियों का इलाज भी थम गया है. यह सिलसिला बीते ढाई-तीन महीने से चल रहा है. दरअसल, एसजीपीजीआई को कैशलेस इलाज के मद में दिया गया पैसा खत्म हो चुका है. संस्थान का जब 50 फीसदी पैसा खत्म हुआ था, तब से डिमांड की जा रही है. मगर चिकित्सा महानिदेशालय से फंड नहीं भेजा गया.
सरकारी कर्मियों व पेंशनरों सहित उनके परिवारों के लिए राज्य सरकार द्वारा कैशलैस इलाज की सुविधा शुरू की गई है. इस योजना के तहत निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक प्रति वर्ष निशुल्क इलाज की सुविधा दी गई है जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों को कार्पस फंड बनाकर धनराशि दी गई है.
कर्मचारी-पेंशनर कर रहे शिकायत
सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव की ओर से इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से पत्र के जरिए पीजीआई को बजट देने की मांग की गई है. संस्था के महासचिव ओपी त्रिपाठी का कहना है कि पीजीआई से तमाम कर्मचारी और पेंशनर बिना इलाज के लौट रहे हैं. 50 फीसदी राशि खर्च होने के बाद ही उपभोग प्रमामपत्र के साथ और पैसे की डिमांड की जा सकती है.
50 राशि खर्च हुई तो और देने का प्रावधान
इस योजना के शासनादेश में प्रावधान है कि मेडिकल कॉलेज 50 फीसदी राशि खत्म होने के बाद उसका उपभोग प्रमाणपत्र देते हुए और धनराशि की मांग करेंगे. महानिदेशालय द्वारा उनको कार्पस फंड से और राशि दे दी जाएगी. मगर ऐसा हो नहीं रहा. पीजीआई जैसे बड़े संस्थान को भी करीब तीन महीने बीत जाने पर भी धनराशि नहीं मिली. संस्थान का बाकी पैसा भी पहले से भर्ती मरीजों के इलाज पर खर्च हो गया. अस्पताल से लौटाए गए कर्मचारियों ने शिकायत नोडल एजेंसी सांचीज और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को भी भेजी है.