उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन कर निकालेंगे बहुमूल्य सुझावों के मोती

Admin4
14 Oct 2022 4:20 PM GMT
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन कर निकालेंगे बहुमूल्य सुझावों के मोती
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गोरखपुर। देश के समग्र विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लक्ष्यानुरूप बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन हेतु देश भर के मूर्धन्य विद्वान महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़, गोरखपुर में दो दिन विशद मंथन कर बहुमूल्य सुझावों के मोती निकालेंगे।
इसके लिए महाविद्यालय के बीएड विभाग और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 15 एवं 16 अक्टूबर को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन समिति की संयोजक/सचिव एवं महाराणा प्रताप महाविद्यालय में बीएड विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह का कहना है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत "राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उसका कार्यान्वयन" विषय पर केंद्रित इस आयोजन में दो दिनों तक 21 विभिन्न उप विषयों पर देश के ख्यातिलब्ध विद्वान अपने सुदीर्घ शैक्षिक अनुभव को परस्पर साझा करेंगे।
शताब्दी वर्ष तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रतिमान रूप में दिखेंगे महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सभी शिक्षण संस्थान
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में संगोष्ठी के निष्कर्ष को व्यावहारिक रूप में लागू भी किया जाएगा। इस आयोजन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़े सभी शिक्षण संस्थानों के प्रमुख विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीयता से ओतप्रोत शैक्षिक क्रांति के ध्वजवाहक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना 1932 में हुई थी।
परिषद प्रबंधन की मंशा है कि स्थापना के शताब्दी वर्ष यानी 2032 तक परिषद के सभी शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के पूर्णतापूर्ण मूर्तिमान रूप दिखें। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी।
महाविद्यालय के बीएड विभाग और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में होगा आयोजन
आयोजन समिति संयोजक ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार प्रो डीपी सिंह, भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति प्रो संजय सिंह, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सेंटर ऑफ पर्सियन एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज के प्रो मजहर आसिफ, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रो सदानन्द प्रसाद गुप्त, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड गवर्नेंस नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ रामानंद, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के प्रो आशीष श्रीवास्तव (डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन), शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ में शिक्षा संकाय की डीन प्रो रजनी रंजन सिंह, भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो राजशरण शाही समेत कई शिक्षाविदों का मार्गदर्शन इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्राप्त होगा।
नागालैंड केंद्रीय विश्वविद्यालय कोहिमा में शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रो ज्ञानेंद्र नाथ तिवारी तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, भौतिक विज्ञान विभाग की प्रो पूनम टंडन राष्ट्रीय संगोष्ठी में वर्चुअल जुड़कर अपने विचार व्यक्त करेंगी।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में होगा गहन विचार विमर्श
बकौल शिप्रा सिंह, किसी भी नीति की प्रभावशीलता उसके कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। इस परिप्रेक्ष्य में सांस्कृतिक भारत की पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्यों के अनुरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को संपूर्णता की ओर अग्रसर करने के लिए राष्ट्रीय संगोष्ठी में गहन विचार विमर्श किया जाएगा।
दो दिवसीय इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रारंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा से लेकर वैश्विक स्तर तक भारत की भूमिका जैसे कुल 21 उप विषयों या शीर्षकों पर शोध प्रपत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
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