उत्तर प्रदेश

पहले वर्षों तक लटका रहता था गन्ने का भुगतान

HARRY
10 Jun 2023 12:45 PM GMT
पहले वर्षों तक लटका रहता था गन्ने का भुगतान
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आज एक हफ्ते में हो रहा : सीएम योगी

लखनऊ | छह वर्ष पहले प्रदेश के गन्ना किसानों को पर्ची के लिए परेशान होना पड़ता था। उनकी पर्ची की चोरी के साथ गन्ने की तौलाई में घटतौली होती थी। ऐसे में वह आंदोलन करने को मजबूर होते थे। साथ ही चीनी मिल के असमय बंद होने से किसानों को परेशान होना पड़ता था। इतना ही नहीं बरसों तक गन्ना किसानों को बकाया गन्ने का भुगतान नहीं होता था। वहीं वर्ष 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही वर्ष 2010 से लेकर 2017 के बीच बकाया गन्ना का भुगतान करने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया गया।

इस पर चीनी मिल मालिकों ने समय से किसानों को बकाया भुगतान करने के लिए इथेनॉल बनाने की परमिशन मांगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति पर आज प्रदेश में चीनी मिलें चीनी के साथ इथेनॉल भी बनाने का काम कर रहीं हैं। आज उसी का परिणाम है कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन में नंबर वन होने के साथ ही इथेनॉल, चीनी उत्पादन, खांडसारी यूनिट्स में भी नंबर वन है। यह इस क्षेत्र के रिफॉर्म का नतीजा है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लोकभवन में आयोजित गन्ना विकास के तहत राज्य गन्ना उत्पादन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरण एवं प्रदेश की 25 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों के लोकार्पण के दौरान कहीं।

सीएम योगी ने कहा कि आज के कार्यक्रम में प्रदेश में एक हेक्टेयर में 2640 कुंतल गन्ने की पैदावार करने वाले किसान मौजूद हैं, जिसे पहले असंभव माना जाता था। वहीं हमारे अन्नदाता किसानों ने अपने सामर्थ्य और परिश्रम से यह साबित करके दिखाया है। प्रदेश में 3171 सहकारी महिला स्वयंसेवी समूह हैं, जिसमें 59000 से अधिक महिलाएं कार्य कर रही हैं। वह आज 60 लाख गन्ना किसानों के साथ मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के भवन खाद और गोदाम के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। इस दिशा में प्रयास करने होंगे।

इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में 25 नये भवनों को लोकार्पण संपन्न हुआ है। वर्ष 2007 से 2017 के बीच गन्ना मूल्य का भुगतान एक लाख करोड़ के आसपास हुआ था, वहीं वर्ष 2017 से लेकर 2023 के बीच 2,13400 करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खातों में भेजा गया है। इतना ही नहीं खांडसारी में जो 500 टन अतिरिक्त गन्ना पेराई हुई है उसका नकद भुगतान किया गया है।

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