उत्तर प्रदेश

मरीजों को शार्ट एक्सपायरी की दवाएं दी जा रही

Admindelhi1
13 April 2024 6:21 AM GMT
मरीजों को शार्ट एक्सपायरी की दवाएं दी जा रही
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टीबी मरीजों को समय से पर्याप्त दवाएं ही नहीं मिल रही हैं.

गोरखपुर: केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. सरकार के इस लक्ष्य को शासन के अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं. आलम यह है कि टीबी मरीजों को समय से पर्याप्त दवाएं ही नहीं मिल रही हैं. मरीजों को शार्ट एक्सपायरी की दवाएं दी जा रही हैं. मरीज इन दिनों जिन दवाओं का सेवन कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर या मई में एक्सपायर हो जाएंगी. माना जा रहा है कि एक्सपायर डेट नजदीक होने से दवा की क्षमता प्रभावित हो रही होगी.

जिले में पिछले सवा साल में करीब 20 हजार टीबी के मरीज चिह्नित हुए. इसके अलावा इस वर्ष भी करीब हजार टीबी के मरीज चिह्नित हुए हैं. इनमें से ज्यादातर टीबी के फर्स्ट लाइन के मरीज हैं. इनके इलाज के लिए शासन ने इथमबूटाल-100 एमजी और थ्री-एफडीसी दवाएं भेजी हैं. इथमबूटाल जुलाई 2020 में निर्मित है. इसे अब जाकर शासन ने टीबी अस्पताल को भेजा है. यह दवा जून में, जबकि थ्री-एफडीसी भी मई में एक्सपायर हो जाएगी. इसका निर्माण जून 2022 में हुआ है.

रेजिस्टेंस वाले मरीजों को भी दी जा रहीं शॉर्ट एक्सपायरी दवाएं टीबी के सामान्य मरीजों के साथ ही रेजिस्टेंस वाले मरीजों के साथ भी यम दर्जे का व्यवहार हो रहा है. उन्हें भी शार्ट एक्सपायरी दवाएं दी जा रही है. जिले में ऐसे करीब 1000 मरीज चिह्नित हैं. इनका इलाज नौ महीने से लेकर डेढ़ साल तक चलता है. इन मरीजों को दी जाने वाली इथीयोनामाइड-250 एमजी दवा के बैच शासन की तरफ से भेजे गए हैं. इसमें से बैच और दूसरा मई में एक्सपायर हो जाएगा. यह दवा में 2020 में निर्मित है.

शॉर्ट एक्सपायर दवाओं को देखकर हलकान हैं मरीज शासन द्वारा तो टीबी की दवाएं देर से भेजी जा रही हैं, दूसरे उनकी मात्रा भी कम है. शॉर्ट एक्सपायरी दवाएं देखकर मरीज हलकान हैं. उनका मानना है कि एक्सपायर नजदीक होने का मतलब है दवा की क्षमता का कम होना. उधर शासन की तरफ से टीबी अस्पताल को महीने के बजाय महीने की दवा ही दी जा रही है. टीबी अस्पताल मरीजों को महीने की जगह 15 दिन की ही दवा दे पा रहा है. इसके चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है.

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