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इलाहाबाद: ऐसे समय में जब धर्म के नाम पर समाज में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, शिक्षा के मंदिरों में तस्वीर इसके उलट है. यहां पंडितजी मुस्लिम बच्चों को उर्दू जुबां सिखा रहे हैं. सरकारी प्राथमिक विद्यालय से लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय तक ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जहां भाषा और धर्म में कोई अंतर नहीं है. सबसे पहले बात करें परिषदीय विद्यालय की तो यहां उर्दू बीटीसी व मोअल्लिम-ए-उर्दू प्रशिक्षित सात हिन्दू शिक्षक बच्चों को उर्दू पढ़ाते हैं. इन विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक संस्कृत की तरह एक विषय के रूप में बच्चे उर्दू भी लेते हैं. सरकार इन बच्चों को उर्दू जुबां नाम से निशुल्क किताब देती है.
उर्दू बीटीसी प्रशिक्षण करने के बाद शिक्षक बने अजय कुमार पाठक प्रतापपुर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय किशुनीपुर में बच्चों को उर्दू भी पढ़ाते हैं. वर्तमान में यहां पांच बच्चे पंजीकृत हैं. इसी प्रकार संविलियन विद्यालय बेलामुंडी जसरा में कन्हैयाजी मालवीय, संविलियन विद्यालय देवरा शंकरगढ़ में अरुण कुमार त्रिपाठी, प्राथमिक विद्यालय अहिरान फूलपुर में पूनम बाला प्रजापति, प्राथमिक विद्यालय हसनपुर धनूपुर में जय प्रकाश रजक जबकि प्राथमिक विद्यालय झझरी फूलपुर में नीलम ज्योति और प्राथमिक विद्यालय कोडापुर फूलपुर में डेजी रानी के पास उर्दू पढ़ाने की जिम्मेदारी है. जिले के परिषदीय स्कूलों में पिछले साल 26829 बच्चों ने एक विषय के रूप में उर्दू लिया था. इसके अलावा सरकार की तरफ से मदरसा के 3299 बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई गई थीं.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दस साल से उर्दू पढ़ा रहे डॉ. संजय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में डॉ. संजय कुमार दस साल से उर्दू पढ़ा रहे हैं. प्रो. एए फातमी के निर्देशन में शोध करने वाले डॉ. संजय की 2013 में नियुक्ति हुई थी. पुरामुफ्ती के रहने वाले डॉ. संजय के मार्गदर्शन में सूर्य प्रकाश राव फिराक गोरखपुरी पर उर्दू में शोध कर रहे हैं.