उत्तर प्रदेश

धान किस्म 1847 को नहीं मिल रहे खरीदार

Harrison
9 Oct 2023 1:44 PM GMT
धान किस्म 1847 को नहीं मिल रहे खरीदार
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उत्तरप्रदेश | पूसा संस्थान द्वारा विकसित धान की 1847 किस्म की कारोबारियों ने बेकदरी कर दी है. पूसा संस्थान के निदेशक की मानें तो यह किस्म उन्हीं के संस्थान की बहु प्रचलित 1509 किस्म से गुणवत्ता, उत्पादन एवं रोग नियंत्रण में ज्यादा अच्छी है.
धान की आवक मंडी में पूरे जोर पर है. मथुरा में 95 फीसदी से ज्यादा बासमती श्रेणी का धान ही लगाया जाता है. बासमती श्रेणी की बहु प्रचलित 1509 एवं 1692 के मुकाबले वैज्ञानिकों ने दो बीमारियों को नियंत्रित कर अच्छे उत्पादन वाली 1847 किस्म विकसित की. पहली बार किसानों ने इसका बीज 250 से 300 रुपये प्रति किलो में खरीद कर फसल लगाई लेकिन बाजार में पहले तो इसके खरीदार नहीं हैं. खरीद हो भी रही है तो 1509 और 1692 से 700 से 800 क्विंटल कम पर खरीद की जा रही है. पूसा संस्थान के निदेशक डॉक्टर एके सिंह ने बताया कि बाजार पर उनका नियंत्रण नहीं है. किस्म बहुत अच्छी है. एक दशक पूर्व जब 1509 बाजार में आई थी तो इसके रेट भी कारोबारियों ने 2-3 साल तक नहीं दिए थे. अब हरियाणा की मंडियों में यह 3700-3800 तक बिक रही है. इधर मथुरा मंडी में 2700 से 3200 का आम रेट चल रहा है.
जिला गंगा समिति सदस्य एवं प्रगतिशील किसान दिलीप कुमार यादव का कहना है कि निर्यात के लिए बासमती की ज्यादातर किस्म पूसा के वैज्ञानिकों ने दी हैं. वह चावल की टूटने, कुकिंग क्वालिटी आदि सभी की टेस्टिंग करते हैं. पूर्व की विकसित किस्म के मुकाबले उत्पादन रोग नियंत्रण एवं क्वालिटी में सुधार के बाद ही नई किस्म को रिलीज किया जाता है. कारोबारी केवल मांग को ध्यान में रखते हैं. पूर्व की प्रचलित किस्म की मांग है. नई किस्म अभी निर्यात में ज्यादा गई नहीं है. इसी का लाभ उठा कर धान की 1847 किस्म को सस्ते में खरीदा जा रहा है. वैज्ञानिकों की मानें तो यह किस्म बेहतरीन बासमती 1121 को टक्कर देगी. इधर किसानों को महंगा बीज खरीदना पड़ा और फसल सस्ते में बेचनी पड़ रही है.
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