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कानपूर: उत्तर प्रदेश में इस बार धान का उत्पादन घटने के हालात हैं. इसकी वजह धान पर दोहरा हमला है. फसल पर वायरस का अटैक तो है ही, जिससे पौधे बौने रह गए हैं. दूसरे कई तरह के कीट भी लगे हैं. बारिश और तापमान की अनियमितता से फसल को नुकसान तय है. चंद्रशेखर आजार कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने किसानों को संक्रमण देखते ही उपचार का अलर्ट जारी किया है.
सीएसए के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि धान की बुआई 20 जून से 25 जुलाई के बीच होती है. इस अवधि में ज्यादातर जिलों में अधिक या सामान्य बारिश हुई लेकिन बारिश का पैटर्न अच्छा नहीं था. जब जितनी जरूरत थी, तब उतनी बारिश नहीं हुई. वर्षा में अंतर हो गया. अनुपात गड़बड़ाने से नर्सरी और रोपाई प्रभावित हुई.
वायरल अटैक से फसल हो रही बौनी सीएसए के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय के मुताबिक, मौसम की विसंगति से धान पर वायरस का अटैक हुआ है. धान के पौधे बौने रह जा रहे हैं. इसका असर दानों पर भी पड़ेगा. सिंचाई के कम साधन वाले इलाकों में यह असर ज्यादा है. कानपुर के सरसौल, महाराजपुर, उन्नाव, फतेहपुर क्षेत्रों में किसानों की काफी शिकायतें आई हैं.
धान बर्बाद कर रहीं यह बीमारियां
लीफ ब्लास्ट, कालर ब्लास्ट, नोड ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट, शीत ब्लाइट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और फुदका.
यह लक्षण खतरनाक पत्तियों, तनों, गांठों का काला पड़ना. बाली में दाने न बनना या कम बनना.
जून से अगस्त तक बारिश तो हुई पर यह अनियमित रही. यह धान की फसल के अनुकूल नहीं रही. इससे वायरस, कीट का प्रकोप बढ़ा है. पौधे बौने भी रह गए हैं.
- डॉ. एसएन सुनील पांडेय
मौसम विज्ञानी, सीएसए कृषि विश्वविद्यालय
वैज्ञानिकों की सलाह
● नाइट्रोन का सीमित प्रयोग करें
● पोटेशियम सामान्य कुछ ज्यादा डालें
● रोग बढ़ने पर एंटी फंगस प्रयोग करें.