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विदेशों से संचालित आतंकवादी संगठन मुसलमान समाज के मेहनतकश तबके को आतंकी बनाने की फिराक में लगे हुए हैं. शनिवार को अरैस्ट किए गए दोनों संदिग्ध आतंकवादियों से पूछताछ में इन संगठनों के इस मिशन का खुलासा हुआ है. सरलता से गुमराह होने वाले इस तबके को हिंदुस्तान को इस्लामिक देश बनाने का स्वप्न दिखाया जाता है. एटीएस इन दोनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर उनके पूरे नेटवर्क के बारे में जानकारी जुटाएगी. इस बीच उनके कुछ सहयोगी हिरासत में लिए गए हैं, जिनसे पूछताछ चल रही है.
अलकायदा, आईएसआईएस, अलबद्र, लश्कर-ए-तैय्यबा, अंसार गजवातुल हिन्द और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी संगठनों के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए मेहनतकश तबके से आने वाले मुसलमान नौजवानों पर डोरे डाले जा रहे हैं. ड्राइवर, चौकीदार और कारखानों खासकर मीट फैक्ट्रियों में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के अन्य कर्मचारियों को आतंक के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग किया जा रहा है. अरैस्ट कश्मीरी पुरुष रिजवान खान वर्तमान में बिहार के फारबिसगंज में मरहबा फ़्रोजेन फूड प्राइवेट लिमिटेड में सुरक्षा गार्ड का काम कर रहा था, जबकि इससे पहले वह उन्नाव की एक मीट फ़ैक्ट्री इंडार्गो फूड प्राइवेट लिमिटेड में सुरक्षा गार्ड का काम कर रहा था. पूछताछ में उसके कई ऐसे संपर्कों का पता चला है, जो उसके जैसे ही रोजगार में लगे हैं. एटीएस की टीमें अभी उनकी संलिप्तता का पता लगा रही हैं.
इसी तरह दूसरा अरैस्ट अभियुक्त सद्दाम शेख उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का रहने वाला है. वर्तमान में वह एनटीसी नाम की एक कंपनी में कर्नाटक के ढाबसपेट (बंगलुरु) में ड्राइवर का काम कर रहा था. सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग में आतंकवादी संगठनों के प्रति उसका गहरा आकर्षण देखकर एटीएस के होश उड़ गए. एटीएस को पता चला कि रिजवान के साथ-साथ सद्दाम भी मुजाहिद बनना चाहता है. उन्हें एक ऐसी सेना बनाने का स्वप्न दिखाया जा रहा था, जिससे शरिया कानून लागू करके हिंदुस्तान को इस्लामिक देश बनाया जा सके. सद्दाम का गोंडा के आसपास के जिलों में नेटवर्क होने की आसार है.