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नोएडा: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सेक्टर-37डी स्थित एनबीसीसी ग्रीन व्यू के फ्लैट मालिकों की तरफ से दायर याचिका पर पांच को फैसला सुना दिया. इसके मुताबिक एनबीसीसी लिमिटेड दो महीने के अंदर नौ फीसदी सालाना ब्याज दर पर 260 फ्लैट मालिकों को राशि लौटाएगा.
लाख रुपये अनुकरणीय क्षति के रूप में सभी फ्लैट मालिकों को दिए जाएंगे. यदि किसी फ्लैट मालिक का बैंक में लोन चल रहा है तो बैंक का भुगतान करने के बाद बची राशि को फ्लैट मालिक को देनी होगी. बैंक ऋण पर लिए फ्लैट को छोड़कर बचे फ्लैट मालिकों को दिन के अंदर रजिस्ट्री को एनबीसीसी लिमिटेड को देना होगा.
एनबीसीसी लिमिटेड ने साल 20 में इस रिहायशी सोसाइटी को लांच किया था. साल 20 तक इस सोसाइटी में 784 फ्लैट बनकर तैयार हो गए था. साल 20 और 2018 में 260 परिवारों को फ्लैट का पजेशन दे दिया था. सोसाइटी में बाहरी और आंतरिक दीवारों से प्लास्टर गिरना शुरू हो गया.
एनबीसीसी ग्रीन व्यू फ्लैट ओनर असोसिएशन ने इस सिलसिले में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, जिला उपायुक्त के अलावा सीएम विंडो, केंद्रीय सतर्कता आयोग और एनबीसीसी लिमिटेड में शिकायत देना शुरू कर दिया. केंद्रीय सतर्कता आयोग के हस्तक्षेप के बाद इस सोसाइटी की सरंचनात्मक जांच का कार्य नवंबर, 2020 आईआईटी, दिल्ली को सौंप दिया था.
42 फ्लैट मालिकों की याचिका विचाराधीन थी: 82 फ्लैट मालिक साल 20 से एनसीआरडीसी में विचाराधीन याचिका में शामिल हो गए. 42 फ्लैट मालिकों ने एनबीसीसी लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की हुई थी, जो विचाराधीन थी. याचिका में इन परिवारों ने प्रतिशत ब्याज के साथ राशि वापस, स्टांप ड्यूटी राशि और आंतरिक सज्जा पर खर्च राशि की वापसी, मानसिक परेशानी की एवज में 50 लाख रुपये मुआवजा, पांच लाख रुपये कानूनी लड़ाई के दौरान खर्च राशि देने की मांग की.