उत्तर प्रदेश

जीएसटी फर्जीवाड़े की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का आदेश निरस्त

Admindelhi1
23 May 2024 3:12 AM GMT
जीएसटी फर्जीवाड़े की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का आदेश निरस्त
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इसकी पुष्टि कमिश्नरेट के अधिकारियों ने की

प्रतापगढ़: जीएसटी फर्जीवाड़े की जांच कमिश्नरेट गौतमबुद्ध नगर की सेक्टर-20 पुलिस ही करेगी. शासन ने इस फर्जीवाड़े के तहत दर्ज तीन केसों की जांच आर्थिक अपराध शाखा मेरठ को ट्रांसफर करने के आदेश को निरस्त कर दिया. इसकी पुष्टि कमिश्नरेट के अधिकारियों ने की.

इस फर्जीवाड़े में कई अरबपति कारोबारी समेत 41 आरोपी अब तक सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. कमिश्नरेट पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलतेकिसी भी आरोपी की जमानत नहीं हो सकी है. 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी फर्जीवाड़े का खुलासा बीते पांच सालों में पुलिस का सबसे बड़ा गुडवर्क बताया जा रहा है.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को कई हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश सेक्टर-20 पुलिस ने बीते साल जून में किया था. सेक्टर-20 पुलिस ही मामले की जांच कर रही थी. इस प्रकरण के आरोपी दिल्ली के अरबपति कारोबारी संजय ढिगरा ने अपने प्रभाव, अधिकारियों और राजनेताओं में पहुंच के बल पर शासन में अधिकारियों को गुमराह कर जांच गौतमबुद्ध नगर जिले के थाना सेक्टर-20 से ट्रांसफर कराकर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराने के आदेश 18 अप्रैल को करवा लिए थे. इससे पहले जांच के आदेश नोएडा पहुंच पाते थाना सेक्टर-20 पुलिस और सीआरटी टीम ने संजय और उसके आरोपी परिवार की धरपकड़ शुरू की और उसे माह के शुरुआत में ही पत्नी और बेटे के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

जांच ट्रांसफर कराए जाने की भनक लगते ही इस प्रकरण का वादी भी इसको चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट इलाहाबाद पहुंच गया. तीनों की गिरफ्तारी के बाद नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने भी इस प्रकरण से शासन और पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया. इसके बाद आरोपी के कहने पर जांच ट्रांसफर किए जाने की बात सामने आते ही शासन प्रशासन में चर्चा शुरू हो गई.

सूत्रों के मुताबिक अब शासन के गृह गोपन विभाग के अनु सचिव ने ईओडब्ल्यू के एडीजी को जांच ट्रांसफर संबधी आदेश का हवाला दे उसे निरस्त किए जाने की जानकारी देते हुए इस प्रकरण में सुनिश्चित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. जांच ट्रांसफर होने का आदेश निरस्त होते ही कारोबारी संजय और उसके साथियों की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी हैं.

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