उत्तर प्रदेश

पूर्व सांसद समेत चार को एक साल की सदाचार परिवीक्षा सजा का आदेश बरकरार

Rani Sahu
13 Jan 2023 4:12 PM GMT
पूर्व सांसद समेत चार को एक साल की सदाचार परिवीक्षा सजा का आदेश बरकरार
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यूपी: पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले समेत चार लोगों को अवर न्यायालय द्वारा एक साल की परिवीक्षा सजा का आदेश पारित किया गया था। पूर्व सांसद ने आदेश के खिलाफ मामले में चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय पर क्रिमिनल अपील दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने पूर्व सांसद आदि की अपील को खारिज कर पूर्व के आदेश को जारी रखने का निर्देश दिया है।
एडीजीसी क्रिमिनल सुनील कुमार जायसवाल ने बताया कि वादी मुकदमा टेकराम ने 29 मार्च 2009 को थाना कोतवाली नानपारा में मौखिक सूचना दी कि उसको सावित्री बाई फूले, अक्षयवर लाल कनौजिया, जाहिद अली और धुनधुन ने थाना क्षेत्र के एक अमरूद के बाग में लाठी डंडों से मारपीट कर धमकी देकर चले गए थे। एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल ने बताया कि वादी मुकदमा की मौखिक सूचना में यह कहा गया था कि उसने घटना के तीन वर्ष पूर्व नकछेद से एक अमरूद के बाग को खरीदा था। सावित्री बाई व उनके सहयोगी से उनका बाग को लेकर विवाद चल रहा था।
मामले में थाने की पुलिस ने मारपीट व जान से मारने की धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचना अधिकारी ने साक्ष्यों आदि को एकत्रित कर गवाहों के बयानों के आधार पर जांच रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी। अवर न्यायालय ने 22 अगस्त 2022 को मुकदमें में सुनवाई करते हुए पूर्व सांसद सावित्रबाई फूले समेत सभी नामजद अभियुक्तों को जान से मारने की धारा मेें दोषमुक्त करते हुए मारपीट के मामले में एक परिवीक्षा अधिनियम के तहत 25-25 हजार के एक-एक निजी बंधपत्र पर एक वर्ष की सदाचार परिवरक्षा पर रिहा करने का आदेश दिया था। एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल ने बताया कि अवर न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पूर्व सांसद फूले, कनौजिया व धुनधुनने चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट सुरजन सिंह के न्यायालय पर याचिका दायर किया था।
उन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 22 अगस्त 2022 के आदेश को बरकरार रखते हुए पूर्व सांसद आदि की याचिका को खारिज कर दिया।
यह है सदाचार परिवीक्षा के तहत सजा का प्रावधान
एडीजीसी क्रिमिनल जायसवाल ने बताया कि परिवीक्षा अधिनियम के तहत दी गई सदाचार परिवीक्षा की सजा के दौरान दोष सिद्घ अभियुक्तों को एक वर्ष तक अपराधिक घटना से दूर रहना होगा। इस दौरान सभी को जिला प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर निरंतर अपनी उपस्थित दर्ज करानी होगी।

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