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आजमगढ़: भाजपा के पूर्व महामंत्री रविशंकर ने मंडलीय अस्पताल प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. रविवार को मंडलायुक्त ने मामले का संज्ञान लेते हुए डीएम को जांच के निर्देश दिए. जिला अधिकारी ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है.भाजपा के पूर्व महामंत्री रविशंकर की ओर से मंडलायुक्त को दिए गए शिकायती पत्र की जांच फिर से शुरू हो गई है. मंडलायुक्त को संबोधित शिकायती पत्र में 15 बिंदुओं पर आरोप लगे हैं. जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. अब उसी जांच कमेटी को फिर से सक्रिय किया गया है.बता दें कि शिकायती पत्र में अस्पताल को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए शासकीय धन की लूट किए जाने का आरोप लगा था. शिकायतकर्ता का आरोप है कि कुछ कर्मचारी यहां ऐसे है जो कई वर्षों से जमे हुए है. स्थानांतरण होने पर विकलांग प्रमाणपत्र तो कभी राजनीतिक दबाव के बल पर अपना ट्रांसफर रुकवा लेते है.
पत्र में आरोप लगा है कि अस्पताल में संविदा, आउटसोर्सिंग के 18 पदों पर नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रहास ने नियमों के खिलाफ नियुक्ति की थी. पूर्व एसआई डॉ. एसके सिंह ने शासन को पत्र लिखकर बताया था कि ई-हॉस्पिटल के संचालन के लिए कर्मचारी प्रशिक्षित हो चुके है. इसके चलते संविदा पर कार्य कर रहे 12 ऑपरेटरों की सेवा समाप्त कर दी गई. इसके बाद नए एसआईसी ने फिर छह कंप्यूटर ऑपरेटरों को नियुक्त किया है. ई-हास्पिटल के लिए 2019 से प्रत्येक वर्ष कप्यूटर और लैपटॉप की खरीद एसआईसी, नेत्र रोग विशेषज्ञ और ब्लड बैंक एलटी सुभास पांडेय की फर्मो के माध्यम से बाजार से अधिक रेट पर किया जा रहा है.भाजपा के पूर्व महामंत्री रविशंकर तिवारी ने आरोप लगाया कि अस्पताल की स्पेशल ऑडिट के समय टीम ने एक कर्मचारी पर 1 करोड़ से अधिक के गबन को प्रमाणित किया था, लेकिन अब तक उक्त कर्मचारी पर कोई कार्रवाई अस्पताल प्रशासन ने नहीं की है. इतना ही नहीं 17.50 लाख रुपये खर्च कर 480 सीलिंग पंखे खरीदे गया है. इसमें भी बड़ा घोटाला हुआ है. एडीएम प्रशासन और जांच कमेटी के सदस्य अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि जांच कर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.