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बरेली। दीपोत्सव के बाद आधे दिन के लिए खुली जिला अस्पताल की ओपीडी में बुधवार को करीब 450 मरीज पहुंचे। लोगों की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को देखते हुए जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से दोपहर 12 बजे तक ओपीडी की व्यवस्था की गई थी।
करीब 120-150 लोग सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी से संबंधित समस्या के इलाज के लिए पहुंचे। इन मरीजों का उपचार किया गया। बुखार के लक्षण वाले रोगियों की खून की जांच कराई गई। आधे की ओपीडी के कारण 12 बजे पर्चा काउंटर बंद होने से उपचार की आस में आए कुछ मरीज को मायूस होकर लौटना पड़ा। वहीं गंभीर रोगियों को हेल्प डेस्क की ओर से सुझाव के अनुसार इमरजेंसी में उपचार उपलब्ध कराया गया।
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अस्थमा व सांस रोगी ज्यादा पहुंचे
दीवाली के बाद प्रदूषित हुए वातावरण ने अस्थमा के मरीजों की भी तकलीफ बढ़ा दी है। जिला अस्पताल के चेस्ट एवं टीबी रोग विभाग में अस्थमा के मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिली है। इस दौरान लगभग 80 मरीजों का उपचार किया गया। इन मरीजों को बाहर मास्क लगाकर निकलने की सलाह दी गई है।
पटाखे से झुलसे 20 लोग पहुंचे
जिला अस्पताल के सर्जरी विभाग में करीब 20 ऐसे लोग उपचारित होने आए, जो पटाखे चलाते समय हल्के झुलस गए। मरीजों को इलाज किया गया। वहीं, कुछ ऐसे मरीज भी पहुंचे जो झुलसे नहीं थे, लेकिन पटाखे की बारूद से हाथ में जलन होने की शिकायत लेकर पहुंचे थे।
कुत्तों ने 55 लोगों को काटा
दिवाली पर पटाखे की आवाज व अन्य कारणों से कुत्तों व बंदरों ने लोगों को काट कर जख्मी कर दिया। घायल जिला अस्पताल के बर्न वार्ड में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। 12 बजे तक ओपीडी होने से महज 120 लोगों को ही एआरवी का टीका लगाया जा सका। जिसमें से 55 लोग ऐसे थे, जिन्हें दिवाली पर ही कुत्तों व बंदर ने काटा। हालांकि, ओपीडी खत्म होने के बाद भी लोग एआरवी लगवाने की आस में बर्न वार्ड पहुंच कर इंतजार करते दिखाई दिए।
जिला अस्पताल में बुधवार को आधे दिन ही ओपीडी में मरीजों को उपचार उपलब्ध कराया गया। रोगियों को मौजूदा संसाधन में ही बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं
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