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उत्तर प्रदेश
दलित आएंगे साथ तभी बनेगी 2024 के चुनाव में बात, भाजपा की चिंता का कारण
Harrison
5 Oct 2023 2:19 PM GMT

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उत्तरप्रदेश | यूपी में इन दिनों एनडीए और इंडिया में दलित मतदाताओं को रिझाने की होड़ मची है. जहां तक भाजपा का सवाल है तो पार्टी ने खतौली, घोसी और मैनपुरी उपचुनावों के नतीजों से सबक लेकर दलितों में पैठ बढ़ाने को बड़ी मुहिम छेड़ दी है. पार्टी दलित बस्तियों में संपर्क के साथ ही प्रदेश भर में दलित सम्मेलन करने जा रही है. एनडीए हो या ‘इंडिया’, दोनों ही बखूबी इस बात को समझ रहे हैं कि दलित को साथ लाए बिना 2024 में बात बनने वाली नहीं है.
सियासी दलों का यह दलित प्रेम यूं ही नहीं है. सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की बात करें तो अनुसूचित जातियों का वोट बैंक 20 से 22 फीसदी है. यह वो आंकड़ा है, जो किसी भी गठबंधन के गुणा-गणित को बना-बिगाड़ सकता है. कभी कांग्रेस की ताकत रहे इस वोट बैंक के साथ अन्य जातियों की सोशल इंजीनियरिंग से बसपा प्रमुख मायावती चार बार सूबे की सत्ता पर काबिज हो चुकी हैं.
भाजपा की चिंता का कारण सत्ताधारी भाजपा इन दिनों दलितों को लेकर चिंतित है. संघ का फोकस भी इसी तबके पर है. दरअसल, भगवा दल जानता है कि विपक्षी एकता की कवायद के बाद दलित वोट बैंक ही वो हथियार है, जिससे विपक्ष के हर हमले की धार को कुंद किया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण ओबीसी तबका पिछले चुनावों में भाजपा की विजय का बड़ा कारक रहा है. भाजपाई रणनीतिकार मानते हैं कि यदि अगड़े-पिछड़ों की भाजपाई गोलबंदी में दलित भी साथ आए तो उसकी राह 2024 में निष्कंटक हो सकती है. ऐसे में भाजपा ने न सिर्फ अपने सांसद-विधायकों को दलित बस्तियों में उतार दिया है, बल्कि इसी माह पार्टी प्रदेश में छह बड़े दलित सम्मेलन भी करने जा रही है.
इसलिए उत्साहित हैं विपक्षी गठबंधन के दल
इंडिया गठबंधन की बात करें तो सपा हो या कांग्रेस, वो भी किसी तरह दलितों को रिझाने की कवायद में जुटे हैं. उनकी उम्मीद इस बात को लेकर है कि खतौली, घोसी विधानसभा और मैनपुरी लोकसभा सीटों के उपचुनावों में दलित वोटरों ने भाजपा की ओर ज्यादा रुझान नहीं दिखाया या फिर वे मतदान केंद्रों तक अपेक्षित संख्या में नहीं पहुंचे. वह भी तब जबकि बसपा चुनाव मैदान में ही नहीं थी. ऐसे में उनकी कोशिश है कि आगामी लोकसभा चुनाव में किसी तरह अनुसूचित वर्ग के वोट बैंक को आकर्षित कर सकें. सपा प्रमुख का मध्य प्रदेश में पत्तल भोज भी इसी कवायद का हिस्सा था.
Tagsदलित आएंगे साथ तभी बनेगी 2024 के चुनाव में बातभाजपा की चिंता का कारणOnly if Dalits come together will the issue be resolved in 2024 electionsreason for BJP's concern.ताज़ा समाचारब्रेकिंग न्यूजजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़हिंदी समाचारआज का समाचारनया समाचारTaza SamacharBreaking NewsJanta Se RishtaJanta Se Rishta NewsLatest NewsHindi NewsToday ताज़ा समाचारToday

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