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बांदा। जनपद में डेंगू का डंक लगातार लोगों को अपने शिकंजे में कसता जा रहा है। डेंगू ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि चपेट में आये मरीजों को मौत की नींद सुलाना शुरू कर दिया है। डेंगू पीड़ित पूर्व प्रधान के पुत्र की कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि डेंगू पीड़ित सात लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मौसमी परिवर्तन से मच्छर जनित बीमारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। वायरल फीवर, सर्दी जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अक्सर बुखार पीड़ित मरीज में प्लेटलेट भी घट रही है। सुबह अस्पताल खुलते ही मरीजों की भीड़ जमा हो रही है। स्वास्थ्य विभाग डेंगू जैसी बीमारी को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। कागजों में ही टीमों को घर-घर दौड़ाया जा रहा है।
अतर्रा तहसील के बसरेही गांव निवासी पूर्व प्रधान आशीष गौतम का बेटा शुभम गौतम उर्फ गोलू (22) अतर्रा के पोस्ट ग्रेजुएट कालेज का बीए प्रथम वर्ष का छात्र था। वह कई दिनों बुखार से पीड़ित था। बुधवार को उसकी अचानक हालत खराब हो गई। उसे खून की उल्टी हुई। इसके अलावा उसकी प्लेटलेट भी कम थी और खून की भी कमी हो गई थी। घरवालों ने उसे तत्काल ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया।
वहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर उपचार के लिए कानपुर रेफर कर दिया था। पिता ने उसे कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत की खबर मिलते ही घरवालों में कोहराम मच गया। परिजन शव लेकर गांव आ गए। उधर, मुख्य चिकित्साधिकारी के द्वारा भेजे गए पत्र में बताया गया कि डेंगू से सात लोग पीड़ित पाए गए हैं। उनका उपचार किया जा रहा है।
उधर, सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू से संबंधित मौत की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है। वह मामले की जांच करवाएंगे। सीएमओ ने बताया कि अप्रैल माह से 10 नवंबर तक 55 लोगों को डेंगू पाजिटिव पाया गया है। इलाज के दौरान उनकी हालत में सुधार भी हो गया। फागिंग और लार्वा निरोधक का छिड़काव कराया जा रहा है। डेंगू से संक्रमित होने से बचने के लिए लोगों को पंपलेट के माध्यम से जानकारी दी जा रही है।
Admin4
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