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एक शहर दो नीति: एमडीए घटाएगा संपत्ति की कीमत, फाइल की जा रही है तैयार
मेरठ न्यूज़: एक शहर दो नीति, कुछ वैसा ही क्रांति धरा पर चल रहा है। हाल ही में एडीएम फाइनेंस ने सर्किल रेट में 25 से 50% की वृद्धि की थी। सर्किट रेट में वृद्धि के बाद जमीन के रेट भी बढ़ गए और मकानों के भी। ऐसी स्थिति में एक तरफ तो प्रशासन ने सर्किल रेट बढ़ा कर मकान महंगे कर दिए हैं, दूसरी तरफ मेरठ विकास प्राधिकरण अपने मकानों की कीमत घटाने जा रहा है। एक शहर दो नीति की व्यवस्था पहली बार देखने को मिल रही हैं। इस तरह से एमडीए अपनी संपत्ति की कीमत कम कर रहा है।
दरअसल, मेरठ विकास प्राधिकरण के जो फ्लैट हैं, उनकी कीमत 37 लाख तक है, जबकि प्राइवेट बिल्डर उनकी कीमत 22 लाख ले रहा है। एमडीए की सम्पत्ति नहीं बिक रही हैं, वैसे ही प्राइवेट बिल्डरों की सम्पत्ति भी नहीं बिक पा रही हैं, लेकिन प्राइवेट बिल्डरों पर तो सर्किट रेट में 25 से 50 प्रतिशत की वृद्धि कर बिल्डरों की कमर तोड़ने का काम किया हैं। कहीं कहीं तो सर्किट रेट में शत प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई हैं। एमडीए तो अपनी सम्पत्ति की कीमत गिराकर किसी तरह से बिक्री की कवायद में जुट गया हैं, लेकिन प्राइवेट बिल्डरों के मकानों की कीमत तो सर्किट में भारी वृद्धि कर दिये जाने के बाद बड़ी दिक्कत पैदा हो गई हैं। आखिर एक शहर और दो नीति, ये समझ में नहीं आ रहा हैं। एमडीए तो रेट गिराकर कम कर देता, लेकिन प्राइवेट बिल्डर रेट कैसे गिरा सकते हैं, उनके तो सर्किल रेट बढ़ने के बाद मकान महंगे हो गए हैं। एक शहर में दो व्यवस्था होने से दिक्कत पैदा हो गई हैं।
मेरठ विकास प्राधिकरण की कई कॉलोनी ऐसी हैं, जहां पर बनाये गए मकान बिक नहीं पा रहे हैं। अलोकप्रिय हो चुके मकानों के दाम गिराने की तैयारी चल रही हैं। इसकी फाइल मेरठ विकास प्राधिकरण ने तैयार कर ली हैं। एयरपोर्ट एन्क्लेव समेत कई प्राधिकरण के ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो बिक नहीं पाए। इसी वजह से प्राधिकरण उनके रेट गिरा रहा है। कहा जा रहा है कि 10 से 15% तक मकानों के रेट गिराए जा सकते हैं। होने वाली बोर्ड बैठक में मकानों के रेट गिराने का प्रस्ताव रखा जाएगा, जिसमें रेट कितने गिराए जाएं? इसको लेकर फाइनल मुहर बोर्ड बैठक में ही लगाई जाएगी। अभी तो प्रस्ताव तैयार हुआ हैं। 10 से 15 प्रतिशत तक कीमत मकानों के गिरा दी जाएगी। पहले आओ पहले पाओ वाली स्कीम भी लोगों को दी जाएगी, ताकि लॉटरी सिस्टम को खत्म किया जाएगा। प्राधिकरण उपाध्यक्ष को एक प्रार्थना पत्र लिखकर देना होगा। उसके आधार पर आवास आवंटित कर दिया जाएगा। यह सिस्टम बोर्ड बैठक के बाद ही लागू होगा। बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ तो फिर आगे काम होगा।
दरअसल, मेरठ विकास प्राधिकरण की शताब्दीनगर स्थित एयरपोर्ट एनक्लेव ऐसी कॉलोनी है, जो अलोकप्रिय हो गई है। उसके लिए प्राधिकरण को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसकी कीमत ज्यादा है, जिसके चलते लोग एयरपोर्ट एनक्लेव में रहने के लिए आवास नहीं खरीद रहे हैं। रेट गिराने के बाद स्थितियां बदलेगी, ऐसा प्राधिकरण के अधिकारियों का मानना है। वर्तमान में 30 लाख तक की कीमत प्लेटों की एयरपोर्ट एंक्लेव में रखी गई हैं, जिसको कीमत गिरने के बाद दो लाख तक का लाभ आवंटियों को मिलेगा। इस तरह से लाटरी भी नहीं होगी तथा प्राधिकरण उपाध्यक्ष के आदेश करने मात्र से मकानों का आवंटन हो जाएगा। एयरपोर्ट एन्कलेव कॉलोनी में फ्लैट बने हुए हैं। इनकी बिक्री नहीं हो पा रही हैं, जिसके चलते ही प्राधिकरण को काफी नुकसान हो रहा हैं। छह साल से ज्यादा इस बिल्डिंग के निर्माण को हो चुके हैं। करीब 100 से अधिक फ्लैट इसमें बने हुए हैं, जिनकी बिक्री नहीं हो पा रही हैं। मकानों की सेल भी नहीं हो रही हैं। फ्लैट से अतिरिक्त मकान भी बने हुए हैं। यही नहीं, सैनिक विहार डिवाइडर रोड पर फ्लैट बने हुए हैं, उनकी भी बिक्री नहीं हो पा रही हैं। कुछ फ्लैट बिके थे, बाकी का कोई खरीददार नहीं मिल रहे हैं। इसी वजह से एक दशक से ये फ्लैट नहीं बिक पाये हैं। इनके मकानों की स्थिति भी खराब हो रही हैं।
इनकी मरम्मत भी नहीं कराई गयी हैं, जिसके चलते इनको ग्राहक देखने भी आते है तो हालत देखकर वापस लौट जाते हैं। इसी तरह से रक्षापुरम में भी फ्लैट बने हुए हैं, उनकी बिक्री भी नहीं हो पा रही हैं। इन तीनों योजनाओं को अलोकप्रियता की श्रेणी में एमडीए रख सकता है, जिनके बाद 10 से 15 प्रतिशत की कमी कर सकता हैं। इसकी फाइल भी तैयार की जा चुकी हैं, सिर्फ बोर्ड बैठक में इस पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी।
समाजवादी आवास योजना बनी सफेद हाथी: एमडीए ने शताब्दीनगर में समाजवादी योजना से आवास बनाये थे। इस योजना पर जमीन के अतिरिक्त मकानों के निर्माण पर एमडीए ने डेढ से दो अरब रुपये खर्च किये थे, लेकिन ये मकान बिक नहीं पा रहे हैं। इनका एमडीए को कोई खरीददार ही नहीं मिला, जिसके चलते इन मकानों की बिल्डिंग भी सफेद हाथी बन गई हैं। इनके रेट भी एमडीए गिरा सकता हैं। ये मकान बिकते है तो एमडीए की आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी, लेकिन एमडीए के सामने इन मकानों को बेचने की बड़ी चुनौती है।