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गाजियाबाद न्यूज़: राजनगर एक्सटेंशन के नूरनगर में पांच साल पहले हुए अवैध निर्माण के मामले में मेरठ मंडल के अपर आयुक्त ने जांच में तत्कालीन सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता को दोषी पाया है.
उनके रिपोर्ट के आधार पर शासन के विशेष सचिव ने जीडीए उपाध्यक्ष को इनके खिलाफ कार्यवाही का प्रस्ताव मांगा है. साथ ही सीलिंग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद भी अवैध निर्माण होने के मामले में तत्कालीन अफसरों को उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए दोषियों के नाम मांगे हैं. उत्तर प्रदेश शासन की विशेष सचिव नीरजा कुरील ने जीडीए उपाध्यक्ष को पत्र भेजा है. उसमें लिखा है कि वर्ष 2018 में राजनगर एक्सटेंशन के नूरनगर में खसरा संख्या 578 और 579 पर अवैध निर्माण किया गया. मेरठ मंडल के अपर आयुक्त (प्रशासन) से जांच कराई गई. उन्होंने मामले की पूरी जांच कर 24 मई 2022 को अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी.
इस मामले में जांच अधिाकरी ने पाया है कि एक मामले में सीलिंग का आदेश पारित करने के बाद भी तत्कालीन अवर अभियंता गणेश चन्द जोशी को उसकी जानकारी नहीं दी गई. ऐसे में सीलिंग की कार्यवाही नहीं करने के लिए अवर अभियंता से वरिष्ठ अधिकारी अधिक दोषी हैं, क्योंकि उनके द्वारा न तो सीलिंग की कार्यवाही के लिए अवर अभियन्ता को निर्देशित किया और न ही खुद सीलिंग सम्बन्धी कार्यवाही की गई. इस मामले में तत्कालीन सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता के विरुद्ध कार्यवाही करने का प्रस्ताव जीडीए उपाध्यक्ष भेजे. वहीं, दूसरे प्रकरण में नूरनगर के खसरा नंबर खसरा संख्या 578 पर 17 दिसंबर 2018 को ध्वस्तीकरण व सीलिंग की कार्रवाई के बाद अवैध निर्माण हो गया. इस संबंध में दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव भेजा जाए.