- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- सांसद-विधायकों के...
सांसद-विधायकों के पत्रों को अफसर नहीं दे रहे तवज्जो
अलीगढ़ न्यूज़: सांसद और विधायकों के पत्रों का अफसरों के तवज्जो न देने पर शासन ने सख्त तेवर अपनाते हुए चेताया है. कई जनपदों में सत्ताधारी विधायकों को ही सरकारी विभाग के खिलाफ धरने तक पर बैठने को मजूबर होना तक पड़ा है. इसके बावजूद मशीनरी में सुधार नहीं हो पा रहा है.
प्रदेश के संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव ने प्रदेश के प्रमुख सचिव, डीजीपी से लेकर सभी कमिश्नर, डीएम व एसएसपी को पत्र जारी किया है. पत्र में सांसदों व विधानमंडल के सदस्यों से प्राप्त पत्रों पर नियमानुसार समय रहते प्रभावी कार्यवाही करने व निरंतर मॉनीटिरिंग करने के लिए नोडल अधिकारी नामित करने के बारे में लिखा गया है. पत्र में लिखा गया है कि माननीयों के पत्रों पर प्रभावी कार्यवाही के लिए प्रत्येक तिमाही की कार्यवाही निर्धारित प्रारूप में शासन को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए थे. देखने में आ रहा है कि कई विभागों, जनपदों द्वारा अपने विभाग व जनपद से संबंधित वांछित सूचनाएं समय से उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं. यह स्थिति अत्यन्त खेदजनक है.
अक्टूबर से दिसंबर तक की तिमाही रिपोर्ट प्रदेश के सभी जनपदों से है मांगी गई प्रमुख सचिव ने प्रदेश के सभी जनपदों से अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक की सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा है. अगर कोई पत्र प्राप्त नहीं भी हुआ है तो भी शून्य की रिपोर्ट भेजनी होगी.
कोल विधायक अनिल पाराशर ने बताया कि समय-समय पर माननीयों के पत्रों का समय से जवाब नहीं दिए जाने का विषय उठता रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. स्थानीय कुछ अधिकारी मनमाने तरीके से कार्य कर रहे हैं. जिसकी वजह से सरकार की छवि धूमिल होती है. मुख्यमंत्री स्तर पर ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्यवाही को लिखा गया है.
जिले में हो माननीय के पत्रों को सिंगल विंडो सिस्टम कोल विधायक ने कहा कि बीते दिनों विधानसभा में माननीय के पत्रों का विषय उठाया गया था. जिसमें कहा गया है कि जिस तरह से उद्योग व अन्य विभागों में सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी किया गया है. उसी तरह से सांसद-विधायकों के पत्रों के जवाब को व्यवस्था लागू होनी चाहिए.