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मेरठ: अरबों की सरकारी संपत्ति पर भू-माफिया का कब्जा है। यह तथ्य प्रशासन की जांच रिपोर्ट में सामने आया है। यह जमीन अर्बन सीलिंग की राज्य सरकार की भूमि 1.5 लाख वर्ग मीटर हैं, जो सरकारी दस्तावेज में दर्ज है। इस जमीन पर अवैध कब्जे के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अब इस पूरे प्रकरण की जांच डीएम दीपक मीणा के आदेश पर आरंभ हो गई है। एडीएम प्रशासन अमित कुमार ने माना है कि सरकारी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जे कर रखे हैं।
इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। यह जमीन सरधना तहसील के ग्राम मुकर्रमपुर पल्हैड़ा, पावली खास के रकबे में दर्ज है, जो राज्य सरकार की जमीन के रूप में सरकारी दस्तावेज में दर्ज होना पाया गया है। इस जमीन पर बड़े पैमाने पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जे कर जमीन को बेच दिया है। ग्राम मुकर्रमपुर पल्हैड़ा परगना दौराला तथा तहसील सरधना की खतौनी में श्रेणी 4-बी, श्रेणी वन में ये जमीन दर्ज हैं। अर्बन लैंड सीलिंग भूमि राज्य सरकार श्रेणी 4 में सरकारी दस्तावेज में भी दर्ज हैं।
समाज सेवी लोकेश खुराना की शिकायत पर प्रशासन ने इसकी जांच पड़ताल आरंभ की हैं। प्रशासन की जांच में पाया कि सरकारी दस्तावेजों में खसरा संख्या 35, 40, 54, 349, 363, 366, 371, 418, 425, 441, 443, 258, 459, 490, 614, 28, 79, 61, 78 व 39 ए इस तरह से कुल 18 खसरा संख्याओं में अंकित यह जमीन दर्ज है, जिसमें प्रशासन भी मान रहा है कि यह भूमि राज्य सरकार की है, जो मौके पर खाली होनी चाहिए थी, लेकिन इस पर वर्तमान में अवैध कब्जे हैं।
खसरा संख्या 29 में 1741.95 वर्ग मीटर, खसरा संख्या 7 में अंकित 5680.70 वर्ग मीटर, खसरा संख्या 61 में 6250.2 वर्ग मीटर खसरा संख्या 34 14.42 वर्ग मीटर खसरा संख्या 78 में 816.20 वर्ग मीटर जमीन हैं। इस तरह से करीब एक लाख वर्ग मीटर से ज्यादा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे हैं। यह जमीन श्रेणी 4 में सरकारी दस्तावेज में दर्ज है, जिस पर अवैध कब्जे हैं। सरधना एसडीएम के अतिरिक्त गोपनीय जांच कराकर अर्बन सीलिंग एक्ट में अतिरिक्त घोषित भूमि जो राजस्व अभिलेखों में राज्य सरकार में निहित होनी चाहिए, उस पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं।
यह जमीन एमडीए के अधीन होनी चाहिए थी, मगर एमडीए का भी इस जमीन पर कब्जा नहीं हैं। इस जमीन के सरकारी दस्तावेजों में राज्य सरकार का नामांकित है। उन सभी पर राज्य सरकार का कब्जा कराने की मांग लोकेश खुराना ने डीएम से की है। समाजसेवी लोकेश खुराना की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम दीपक मीणा ने एडीएम प्रशासन अमित कुमार को इसकी जांच सौंपी है।
एडीएम प्रशासन ने भी माना है कि सरकारी दस्तावेज में जमीन खाली पड़ी हुई है, जो सरकारी है, लेकिन मौके पर अवैध कब्जे हैं। अब इसकी पूरी सूची तैयार की जा रही है। यह जमीन अरबों रुपए की होना बताया जा रहा है। क्योंकि मोदीपुरम क्षेत्र में सर्किल रेट ही 18 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है, जिसके हिसाब से अरबों की संपत्ति बैठती है। इस संपत्ति पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है। अब देखना है कि प्रशासन अवैध कब्जों से सरकारी जमीन को कैसे मुक्त कर पाते हैं?