उत्तर प्रदेश

अब माफिया अतीक के रिश्तेदारों पर कसा शिकंजा

Admin Delhi 1
3 March 2023 11:12 AM GMT
अब माफिया अतीक के रिश्तेदारों पर कसा शिकंजा
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मेरठ: माफिया अतीक अहमद के मेरठ में रह रहे रिश्तेदारों पर भी प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं। शासन के आदेश पर जागृति विहार स्थित सोमदत्त विहार कॉलोनी को लेकर दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। डीएम दीपक मीणा ने भी आवास विकास परिषद के एसई राजीव कुमार से रिपोर्ट तलब कर ली हैं। घपला क्या हैं, ये समझने की जरुरत हैं।

आवास विकास परिषद ने जागृति विहार के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था, इसमें 70 एकड़ जमीन ऐसी हैं, जिसका अधिग्रहण तो हुआ, लेकिन बाद में शासन के आदेश पर अर्जन मुक्त कर दी गई। ये जमीन थी माफिया अतीक अहमद के बहनोई की। इसी वजह से पूरा फोकस इस जमीन के दस्तावेजों को खंगालने में प्रशासनिक अफसर जुट गए हैं। इसमें माफिया अतीक को लाभ दिया गया। लाभ भी पचास करोड़ से ज्यादा का हुआ था।

इसको लेकर आवास विकास परिषद के एसई राजीव कुमार ने ‘जनवाणी’को बताया कि शासन और डीएम ने इसकी रिपोर्ट मांगी हैं। उसके दस्तावेज देखे जा रहे हैं, जल्द ही तमाम दस्तावेजों को शासन को भेज दिया जाएगा। इसमें कौन अधिकारी थे, जब जमीन का खेल हुआ? उसकी भी छानबीन की जा रही हैं। इसमें कुछ अधिकारी सवोनिवृत्त भी हो चुके हैं।

प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की निर्मम हत्या के मामले में बाहुबली अतीक अहमद का नाम सामने आने पर एक बार फिर से उसके काले कारनामे सामने आने शुरु हो गए है। अतीक अहमद ने आवास विकास की अधिगृहित 70 एकड़ जमीन को अर्जन मुक्त बसपा की सरकार में कराया था। यही नहीं, इस जमीन को बिल्डरों को बेचा गया। जो लाभ सरकार को होना चाहिए था, वो माफिया अतीक और उनके रिश्तेदारों को हुआ।

अतीक ने किया था मेरठ में जमीन में निवेश:

बसपा राज में माफिया अतीक ने मेरठ में जमीनों में निवेश किया था। जागृति विहार विकसित करने के लिए 2002 में आवास विकास परिषद ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए धारा (28) की कार्रवाई की थी। तब इसमें अतीक के रिश्तेदार व अन्य की करीब 70 एकड़ जमीन अधिग्रहण के दायरे में आ गई थी। सरकारी स्तर पर अधिग्रहण की प्रक्रिया भी हो चुकी थी,लेकिन ऐसे में माफिया अतीक इस मामले में बीच में कूद गए थे, जिसके बाद ही सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था।

2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि जागृति विहार योजना संख्या 11 के लिये 1130031 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई थी। इसकी अनुमानित लागत 41313.22 लाख रखी गई थी। आवास विकास की 20 जनवरी 2007 को हुई 182वीं बैठक में इस योजना को अमली जामा पहनाने पर स्वीकृति लगी थी। इस बाबत समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया था। आपत्तियों पर सुनवाई 8 और 9 जनवरी 2003 में की गई थी। नियोजन समिति की संस्तुतियां पर दोबारा विचार किया गया।

इसमें कहा गया कि नियोजन समिति के प्रस्तावों पर विश्लेषण समिति की दिनांक 11 अगस्त 2003 और 4 सितंबर 2003 को फिर बैठक हुई। इस बैठक में कहा गया कि ऐसी भूमि जिनके मानचित्र मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत नहीं किये गए उनको अधिग़ृहण में शामिल करते हुए 70 एकड़ भूमि ले ली जाए। याचिका में यह भी कहा गया कि अतीक अहमद सांसद के संलग्न पत्र जो मुख्यमंत्री मायावती को संबोधित था, उसमें उल्लखित 70 एकड़ जमीन को छोड़ने का अनुरोध किया गया है।

उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि उक्त खसरे की भूमि पर अधिकांश किसानों ने अपने अपने छोटे निजी भवन बना रखे हैं तथा किसानों के द्वारा आवासी कालोनी के निर्माण के लिये एमडीए में मानचित्र विभिन्न तिथियों को जमा किये हैं, लेकिन एमडीए ने मानचित्र स्वीकृत नहीं किये हैं। इसके बाद शासन के प्रमुख सचिव ने आदेश जारी कर दिये। इसमें फूल विहार के प्रदीप कुमार को खसरा संख्या 14, 15/2, 16, 17, 18 ग्राम सरायकाजी, प्रदीप कुमार को खसरा संख्या 3, 64, 65 ग्राम सरायकाजी, इकबाल अहमद खसरा संख्या 60/2, 61, 101, 103, 104, 105, 106, 108, 109, 110, 111, 112, 115, 118, 119 और 120 ग्राम सरायकाजी, कीर्ति पैलेस एक्सटेंशन 6378, 6376, 6381 कस्बा मेरठ और 233, 23, 235, 236, 237, 238 ग्राम सरायकाजी, श्याम सिंह ग्राम काजीपुर आवंटित कर दी गई। दरअसल अतीक अहमद के पत्र में 70 एकड़ जमीन का जिक्र किया गया है।

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