उत्तर प्रदेश

अब देश का नाम रोशन करने की है तड़प

Admin4
5 Jun 2022 6:40 PM GMT
अब देश का नाम रोशन करने की है तड़प
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अब देश का नाम रोशन करने की है तड़प

रिपोर्ट:- हरीकांत शर्मा ,आगरा


आगरा (Agra) मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक गांव है, गांव का नाम है गुतिला(gutila) .यहां के आसपास के युवाओं में स्पोर्ट्स,खासकर बॉक्सिंग के प्रति ऐसी दीवानगी है किउन्होंने खेत को ही बॉक्सिंग का मैदान बना दिया.बकायदा उन्होंने खेत में अपने खर्चे पर रिंग बनाई है और इस रिंग में वह दिन रात पसीना बहाते हैं.आगरा के रहने वाले राहुल सिंह इस बॉक्ससिंग एकेडमी को चलाते हैं.वे खुद बॉक्सिंग के बेहतरीन खिलाड़ी भी रहे हैं.8 साल तक यूपी चैंपियन रहे हैं.इसके साथ ही उन्होंने कई नेशनल चैंपियनशिप खेली हैं.राहुल सिंह को बचपन से ही बॉक्सर बनने का शौक था.अब तक वे कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुके हैं.राहुल सिंह लगभग 30 साल से बॉक्सिंग के फील्ड में हैं.वेस्ट जज ,रेफरी अवार्ड से भी सम्मानित हैं.

अपने दम पर खड़ी की बॉक्सिंग एकेडमी
जब उन्होंने देखा कि उनके जैसा ही जुनून आगरा के कुछ युवा बॉक्सर में है तो उन्होंने अपने खर्चे पर बॉक्सिंग एकेडमी शुरू की.पहले उन्होंने शहर में ही बॉक्सिंग एकेडमी चलाई.लेकिन जगह न होने की वजह से उन्होंने इस एकेडमी को आगरा से बाहर गुतला गांव में शिफ्ट कर दिया और अपने ही खर्चे पर खेत को ही खेल का मैदान बना दिया.इस मैदान में उन्होंने बकायदा पंचिंग बैग से लेकर बॉक्सिंग रिंग,ट्रेनिंग का पूरा सामान जुटा लिया है.
जुनून ऐसा कि साइकिल से तय करते हैं कई किलोमीटर का सफर
सीनियर प्लेयर आशीष गौतम बताते हैं कि इस वक्त उनकी एकेडमी में लगभग 30 से ज्यादा युवा स्टूडेंट हैं.जो रोजाना बॉक्सिंग के गुण सीख रहे हैं.इनमें से कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.लेकिन उनका बॉक्सिंग के प्रति जुनून कभी कम नहीं होता.राहुल गुर्जर और योगेश गुप्ता जो कि शमशाबाद और उससे भी आगे के गांव के रहने वाले हैं.जो बॉक्सिंग सीखने के लिए 25 से 30 km का सफ़र रोजाना साइकिल से तय करते हैं.फिलहाल अब यहीं कमरा लेकर पढ़ाई के साथ-साथ बॉक्सिंग सीख रहे हैं.यहां सुबह के वक्त 5:00 से 7:30 बजे तक और शाम के वक्त 5:00 से 8:00 बजे तक बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी जाती है.
बिना संसाधनों के कई खिलाड़ी पहुँचे नेशनल स्तर तक
नेशनल चैंपियन राहुल सिंह की देखरेख में यह पूरी एकेडमी चलाई जाती है.उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों में इतना जोश है कि बिना अच्छे संसाधनों के,केवल मेहनत के दम पर,नेशनल चैंपियनशिप खेल रहे हैं.कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो स्पोर्ट्स कोटे से आज सरकारी विभागों में कार्यरत हैं.इनमें से सीनियर खिलाड़ी आशीष गौतम रेलवे में कार्यरत हैं.शैली सिंह जो फिलहाल राजस्थान पुलिस में दरोगा हैं.मनीष राठौर जो कि जूनियर व नेशनल चैंपियनशिप खेल चुके हैं.साथ ही खेलो इंडिया में एक सिल्वर,एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है.
बस एक ही जुनून देश के लिए लाएंगे मेडलl की टीम ने जब इन खिलाड़ियों से बात की तो उन्होंने बताया कि भले ही हमारे पास इस वक्त संसाधन कम हों,लेकिन हम अपनी मेहनत और ट्रेनिंग की बदौलत आगरा का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम भी रोशन करेंगे.यहां ट्रेनिंग ले रहे हर खिलाड़ी की इच्छा है कि वह ओलंपिक में अपने देश के लिए मेडल लेकर आएं.वह मैरी कॉम ,लेखा केसी (Lekha KC), जेनी आरएल (Jenny RL) और लैशराम सरिता देवी जैसे खिलाड़ी बनेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे .


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