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लखनऊ न्यूज़: यूपी में सीवरेज की सफाई के दौरान आए दिन होने वाली मौतों पर रोक लगने जा रही है. इसकी सफाई अब मशीनों से कराई जाएगी. इसलिए मैनहोल का नाम बदल कर इसे मशीनहोल किया जाएगा.
नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि आज ऐसी मशीनें उपलब्ध हैं, जो सीवर सफाई का काम आसानी से कर लेती हैं. रोबोट मैनहोल में उतर कर सफाई कर देते हैं. केंद्र सरकार ने इस बारे में सोचा और बजट में ऐलान किया. अब हाई टेक्नोलाजी से लैस मशीनों के इस्तेमाल सीवेज साफ किया जाएगा. ऐसी तकनीक कई देशों में अपनाई जा रही है. हम सफाई कर्मियों को सुरक्षा उपकरण देकर ही सीवेज सफाई कराते हैं. कहा कि बजट के अभाव में पूरी तरह मशीनों से सफाई का काम नहीं हो पा रहा था. केंद्रीय बजट में इसके शामिल होने से अब धन का संकट नहीं रहेगा इस संबंध में नगर विकास विभाग जल्द ही निकायों को विस्तृत निर्देश जारी करेगा.
राजधानी में सीवर की सफाई की जिम्मेदारी अभी निजी कम्पनी के पास है. निजी कम्पनी कुछ मशीनों व कर्मचारियों से सीवर सफाई करा रही है. मैनुअल कर्मचारियों के जरिए सफाई कराने से कभी कभार घटनाएं दुर्घनाएं होती रहती हैं. सीवर, गंदगी में उतरने से इनकी सेहत भी अच्छी नहीं रहती है. केन्द्र ने इनका दर्द समझा है. इसीलिए इस बार मैनहोल से मशीन होल की बजट में घोषणा की. मैनुअल सीवर की सफाई करने के मामले में शहर में 1998 से 2022 तक कुल 21 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. प्राइवेट घरों में बने सेफ्टी टैंक की सफाई के दौरान मरने वालों की संख्या भी इससे अधिक है.
मुआवजे के लिए ढूंढे नहीं मिल रहे मृतकों के परिजन
मरने वालों के परिजन मुआवजे के लिए ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. जिन 21 लोगों की मौत हुई है, उसमें से 19 को मुआवजा देने की मंजूरी मिल चुकी थी. लेकिन केवल नौ लोगों के परिजन मुआवजे के लिए मिल पाये हैं.
मशीन होल योजना से निश्चय ही सफाई के काम में लगे मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार होगा. केन्द्र की पहल सराहनीय है. मजदूरों का जीवन संकट में नहीं होगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी.
राम कैलाश, जीएम, जलकल
राजधानी में अभी सीवर की मशीनों की स्थिति
● सीवर व सेफ्टिक टैंक की सफाई के लिए उपलब्ध कुल मशीनों की संख्या-184
● सीवर व सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए अभी और मशीनों की जरुरत-264