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अब सीट बचाने की चुनौती, आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव: टिकट तय करने में सपा के छूटे पसीने
इसके बाद धर्मेंद्र यादव को चुनाव के लिए मनाया जाने लगा। बदायूं से सांसद रहे चुके और वहीं की सियासत में सक्रिय धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ सीट जिताना प्रतिष्ठा का सवाल है। अखिलेश के लिए भी अपनी वर्तमान सीट को बनाए रखना उनके राजनीतिक कौशल का इम्तहान होगा। चूंकि चुनौती भाजपा ने लोकप्रिय दिनेश निरहुआ को उतार दिया है। क्या आजमगढ़ में आम चुनाव के नतीजे उपचुनाव में भी दोराहे जाएंगे या नतीजे इसके विपरीत आ सकते हैं। बसपा ने गुडडू जमाली को मैदान में उतारा है।
आजमगढ़ में हो सकता है वोटों का ध्रुवीकरण
देश के मौजूदा सियासी हालात में नूपुर शर्मा का मुद्दा वोटों के ध्रुवीकरण का सबब बन सकता है। अल्पसंख्यक वर्ग सपा के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं लेकिन गुडडू जमाली के लिए चुनौती है कि वह अल्पसंख्यकों को कितना अपने साथ जोड़ सकते हैं। भाजपा के लिए ध्रुवीकरण की स्थिति भी मुफीद रहेगी। सपा को अपने एमवाई समीकरण पर पूरा भरोसा है। पर मुश्किल यह है कि सपा के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए दिनेश यादव निरहुआ पूरी शिद्दत से जुटे हैं, तो मुस्लिम वोट में सेंधमारी की बड़ी उम्मीद बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को भी है।