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आगामी लोकसभा चुनाव में अब नए समीकरणों से तालमेल बिठाने की चुनौती
मुरादाबाद: मुरादाबाद मंडल में के लोकसभा चुनाव की तुलना में आगामी लोकसभा चुनाव में मौजूदा समय में बने नए समीकरणों से सियासी दलों को तालमेल बिठाने की चुनौती होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटों पर सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे. कांग्रेस अलग थी. इस बार बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है, जबकि सपा की सहयोगी रही रालोद अब भाजपा के साथ मिलकर अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पल्लवित करने की तैयारी में जुट गई है.
पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में मंडल की सभी छह सीटों पर जीत हासिल की थी. तब बसपा ने तीन और सपा ने तीन सीटें जीती थीं. मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीट सपा की झोली में गई थी और नगीना बिजनौर व अमरोहा बसपा के खाते में गई थी. इस बार कांग्रेस और सपा मंच साझा करेगी. भाजपा के लिए चुनौती इस बार भी गठबंधनकी है,लेकिन सियासी समीकरण दूसरे हैं. भाजपा ने अपने राजनैतिक जनाधार को मजबूत करने के लिए रालोद को अपने साथ कर लिया है. बसपा का वोट बैंक उस चुनाव में सपा के साथ शिफ्ट हुआ था. इस बार गठबंधन (कांग्रेस सपा), भाजपा व बसपा एक दूसरे चुनौती देंगे. इस बार ऊंट किस करवंट बैठने वाला है यह देखने लायक होगा. कांग्रेस को इस बार अमरोहा सीट गठबंधन में मिली है. नगीना, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद और संभल में सपा और उसके साथियों के प्रत्याशी होंगे.
अब देखना यह है कि यह नया गठबंधन क्या पिछली बार की तरह कामयाबी की इबारत लिख सकेगी या भाजपा और बसपा उनके लिए चुनौती पेश करेंगी. नए सियासी समीकरण अलग अलग सीटों पर अलग-अलग निर्भर करेगा. भाजपा 14 दोहराने के लिए छटपटा रही है तो बसपा अपने तीन के स्कोर को बढ़ाने के लिए चुपचाप मिशन में जुटी है.