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फैजाबाद न्यूज़: लखनऊ यूनिवर्सिटी (एलयू) में रामनगरी का इतिहास छात्रों को पढ़ाया जाएगा. भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग के कोर्स में शामिल किए जाने की खबर के बाद अयोध्या के संतों-महंतों में खुशी की मुस्कान है. संतों ने कहा, राम नगरी के मूल इतिहास की जानकारी विद्यार्थियों को अब मिलेगी. ज्ञान वर्धन के साथ-साथ अयोध्या के प्रति उनकी श्रद्धा और रुचि बढ़ेगी. इसी के साथ जो तमाम तरह कि गलत धारणा लोगों द्वारा फैलाई जा चुकी है. अब वह समाप्त होगी और उनका दुराग्रह खत्म होगा और आग्रह पैदा होगा. सभी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद ज्ञापित किया है.
अयोध्या की प्राचीनता का उल्लेख हिंदू ग्रंथों में साफ तौर पर है. लेकिन इसे अब सार्वजनिक मंच शिक्षा से जोड़कर प्रस्तुत करने से खासकर युवाओं को ज्ञान बढ़ेगा. अपने पूर्वजों के बारे में जानेंगे और समझेंगे कि किस तरह इक्ष्वाकु ,दशरथ और भगवान श्रीराम ने इस नगरी को विकसित कर इसकी पताका पूरे विश्व में फैराई. हनुमत निवास के महंत मिथिलेश नंदनी शरण कहते हैं कि जो सप्त हरियों का स्थान है यह अयोध्या का लैंड मार्क है. राम नगरी सूर्यवंशीयों की नगरी है. यहां पर जो पुरातात्विक शोध हुए हैं उसमें 11 वीं शताब्दियों के मंदिर का उल्लेख हैं.
जगतगुरु राम दिनेशाचार्य बताते हैं कि पुष्यमित्र का शिलालेख रानोपाली आश्रम में अभी भी रखा हुआ है. अब इस काल के विद्यार्थीयों को अब यह सब चीजें पता लगेंगी. उन्होंने बताया लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जाने के बाद यह चीजें अब निकल कर सामने आएगी.