उत्तर प्रदेश

यूपी में अब डीजल-पेट्रोल की तर्ज पर बदलेंगे बिजली के रेट, जानिए क्या होगा फायदा-नुकसान

Bhumika Sahu
14 Aug 2022 7:26 AM GMT
यूपी में अब डीजल-पेट्रोल की तर्ज पर बदलेंगे बिजली के रेट, जानिए क्या होगा फायदा-नुकसान
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डीजल-पेट्रोल की तर्ज पर बदलेंगे बिजली के रेट

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की जनता लगातार बढ़ रही बिजली की दरों से परेशान है. सरकार नई स्कीम लागू करके जनता को एक और झटका देने वाली है. अब सरकार बिजली की दरें भी डीजल-पेट्रोल की तर्ज पर बदलेंगी. अंतर बस इतना होगा कि डीजल-पेट्रोल की दरों में रोजाना बदलाव होता है जबकि बिजली दरों में हर महीने बदलाव किया जाएगा.

सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस आदि की कीमतों के आधार पर बिजली दरें तय की जाएंगी. इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी. इस नए प्रावधान के अगले साल के शुरुआत से प्रभावी होने की संभावना है.
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत 2005 में पहली बार विनियम बनाए थे. अब मोदी सरकार इसमें संशोधन की तैयारी में है. इसके लिए विद्युत (संशोधनद्ध विनियम 2022) का मसौदा जारी कर दिया गया है.
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र में विद्युत (संशोधनद्ध विधेयक 2022) के पारित न हो पाने के कारण सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिए इसके प्रावधानों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
हर महीने बिजली दरें तय की जाएंगी
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उप सचिव डी. चट्टोपाध्याय की ओर से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक सुझाव मांगे हैं. मसौदे के पैरा 14 में यह प्रावधान है कि वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी.
बढ़ेगी वितरण कंपनियों की मनमानी

आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीपीए में संशोधन किया जाएगा. अगर पीपीए करने वाली वितरण कंपनी उस दर पर बिजली नहीं खरीदती है तो उत्पादन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से उस बिजली को खुले बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा. विद्युत (संशोधनद्ध विधेयक 2022) के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगेए उनके हितों को देखते हुए विद्युत विनियम 2005 में संशोधन किया जा रहा है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो। इसकी कीमत आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी.


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