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गोरखपुर: गीडा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी से निजात के लिए अब अब साढ़े सात की जगह तीन एमएलडी का सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लाट) बनाया जाएगा. साथ ही नगर पंचायत सहजनवा पांच एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगा. इसके लिए जमीन की तलाशने के निर्देश दिए गए हैं. यह फैसला प्रदूषण और गीडा अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया है.
क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण अधिकारी अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि - में जो प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, उसके अनुसार साढ़े सात एमएलडी का सीईटीपी बनाना था. उस समय गीडा में दो बड़ी इंडस्ट्री थी, जो ज्यादा पानी का इस्तेमाल करती थी. लेकिन अब गैलेंट और आईजीएल ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज टेक्नालॉजी अपनाकर गंदे पानी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.
इसके अलावा जो अन्य इंडस्ट्रियल है, वह ज्यादा गंदा पानी नहीं निकालती हैं. यही कारण है कि तीन एमएलडी का सीईटीपी बनाने का नया प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को भेजा जा रहा है.
44 करोड़ रुपये दे चुका है एनएमसीजी एनएमसीजी सीईटीपी बनाने को 44 करोड़ रुपये की राशि दे चुका है. गीडा में इसके लिए 14 एकड़ जमीन भी खरीद ली गई है. यही कारण है कि एनएमसीसी ने यह सर्वे कराया है, जिससे सही जानकारी मिल सके कि आखिर कितने एमएलडी के सीईटीपी बनने से फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी नदियों में न जा सके.