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झाँसी: जनपद स्थित विभिन्न गोवंश आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों की खुराक में बड़े पैमाने पर घटतौली व सेधमारी उजागर होने पर प्रशासनिक और विकास विभाग अमला हरकत में आ चुका है. जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने भूसा सप्लायर को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है.
बीते माहों में भूसा सप्लायर से लाखों रुपये रिश्वत लेते तत्कालीन प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी का वीडियो वायरल होने का प्रकरण अभी लोग पूरी तरह से भुला भी नहीं सके थे कि एक बार फिर से भूसा सप्लाई में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला होने लगा है. सप्लायर ने जिम्मेदारों से तालमेल बिठाकर भूसे की तौल में बड़े पैमाने पर घटतौली शुरू कर दी. जरूरत का आधे से भी कम भूसा आश्रय स्थलों में सप्लाई किया जा रहा है. इसके साथ ही भूसा की गुणवत्ता बेहद घटिया है. चना व मटर के सड़े भूसा से उठने वाली दुर्गंध सूंघते ही गोवंश उसको खाते नहीं है. इस तरह के भ्रष्टाचार से बचने वाली धनराशि का काकस बंदरबांट करता है. बीते रोज जिलास्तरीय अधिकारियों ने गोवंशों की स्थितियां परखने के लिए आश्रय स्थलों का निरीक्षण किया. भौरसिल में पिछले कई दिनों से भूसा उपलब्ध नहीं मिला जबकि कागजों में 52 कुंतल भूसा अवशेष दर्शाया गया था. भुचेरा में भी भूसा उपलब्ध नहीं पाया गया. यहां ग्राम प्रधान ने बताया कि यहां सिर्फ चना व मटर का भूसा भेजा जा रहा है. जिसक गुणवत्ता बेहद घटिया रहती है. भूसे में नमी व भारीपन रहता है. निर्धारित मात्रा से बहुत ही कम भूसा उपलब्ध कराया जाता है. विकास खंड बार, तालबेहट व जखौरा में गेहूं, चना व मटर के भूसे की आपूर्ति दुरुस्त नहीं है. गोवंश आश्रय स्थल बादरौन में तो सड़ा मिट्टीयुक्त बदबूदार भूसा सप्लाई किया गया. जिसके खाने से गोवंशों के बीमार पड़ने की आशंका बलवती हो गयी. जनपदस्तरीय विभिन्न अधिकारियों की रिपोर्ट देखने के बाद जिलाधिकारी आलोक सिंह ने भूसा सप्लायर के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. इस क्रम में मुख्य विकास अधिकारी कमलाकांत पांडेय व मुख्य पशुचिकित्साधिकारी ने भूसा सप्लायर को नोटिस जारी करके उससे स्पष्टीकरण तलब किया. दो दिन जवाब देने के निर्देश संग दुबारा इस तरह की पुनरावृत्ति पर कठोर कार्रवाई की हदायत गयी. यदि ऐसा हुआ तो संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.