उत्तर प्रदेश

सालभर बाद भी फोरम नहीं, भटक रहे बिजली उपभोक्ता

Admin Delhi 1
4 Aug 2023 9:02 AM GMT
सालभर बाद भी फोरम नहीं, भटक रहे बिजली उपभोक्ता
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इलाहाबाद: उपभोक्ता फोरम का गठन न होने से लोगों की समस्याओं को देखते हुए जिला उपभोक्ता अधिवक्ता बार एसोसिएशन ने पहल की है. विद्युत नियामक आयोग से जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमए अंसारी ने विद्युत व्यथा निवारण फोरम के गठन में हो रही देरी की जानकारी मांगी है तो दूसरी ओर फोरम का जल्द से जल्द गठन नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है. इस संबंध में मुख्य अभियंता को अधिवक्ता एमए अंसारी, संजय सिंह, साकिब, योगेंद्र सिंह, अरूण मिश्रा आदि ने ज्ञापन दिया है. इसमें कहा गया है कि फोरम का गठन नहीं होने से प्रयागराज के साथ ही प्रदेश में हजारों उपभोक्ताओं का शोषण हो रहा है.

घर बंद, भेज रहे हजारों का बिजली बिल

कल्याणी देवी उपकेंद्र के हम्माम गली निवासी वसीम अहमद के पिता शकील अहमद के नाम बिजली कनेक्शन था. कुछ दिन पहले वह अपने मकान में ताला बंद कर अपने पुत्र वसीम के साथ रहने लगे. विभाग ने बंद घर के मीटर का 18 हजार अतिरिक्त बिजली यूनिट जोड़कर बिल भेजना शुरू कर दिया. वसीम के पिता का निधन हो चुका है.

कनेक्शन कटवाने के बाद भी भेजा दो लाख का बिल

गल्ला बाजार के रहने वाले दीपक सिंह के पिता ओम प्रकाश के नाम से बिजली कनेक्शन था. कुछ साल पहले ओम प्रकाश का निधन हो गया. दीपक ने इसकी जानकारी विभाग को दी और 2015 में बिजली का कनेक्शन कटवा दिया. खुद गांव में रहने लगे, लेकिन विभाग ने उनके पिता के नाम के कनेक्शन पर 14 जनवरी 2022 को दो लाख 15 हजार का डिमांड नोटिस भेजा. अब दीपक न्याय के लिए विद्युत व्यथा निवारण फोरम पहुंच रहे हैं तो केस दाखिल नहीं किया जा रहा है.

बिना मीटर और केबल के भेजा हजारों का बिल

करेली करामात की चौकी निवासी शमा परवीन के घर में बिना केबल और मीटर लगाए ही विभाग ने एक लाख 69 हजार 509 रुपये का बिजली बिल भेज दिया. शमा का कहना है कि उन्हें बिजली कनेक्शन की जरूरत नहीं थी. फिर भी विभाग ने अपने स्तर पर उसके नाम से अकाउंट नंबर जारी करते हुए बिल भेजा. मामले के निस्तारण के लिए विद्युत व्यथा निवारण फोरम जा रही हैं तो केस दाखिल नहीं किया जा रहा है.

अधर में हैं 296 मामले, कौन करे सुनवाई

बिजली मीटर, बिल आदि से संबंधित 296 मामले लंबित हैं. विद्युत व्यथा फोरम के भंग होने से इनकी न तो सुनवाई हो पा रही है और न ही मामलों का निस्तारण ही हो पा रहा है. पूर्व में सक्रिय फोरम के कार्यालय पर पहुंचने पर उपभोक्ताओं को छह-छह महीने की तारीख दी जा रही है.

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