उत्तर प्रदेश

Noida: यमुना विकास प्राधिकरण को भूमि खरीद में देरी से हुआ 188 करोड़ से अधिक का नुकसान

Admindelhi1
3 Jan 2025 5:12 AM GMT
Noida: यमुना विकास प्राधिकरण को भूमि खरीद में देरी से हुआ 188 करोड़ से अधिक का नुकसान
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"यह दावा उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में किया गया"

नोएडा: यमुना विकास प्राधिकरण (यीडा) को भूमि खरीद में देरी से करीब 188.64 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह दावा उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में किया गया. रिपोर्ट पेश होने के बाद से अफसरों में हलचल तेज है.

रिपोर्ट के मुताबिक भूमि अर्जन के लगभग सभी प्रकरणों में यीडा ने एक प्रथागत और मानक औचित्य का उपयोग कर अर्जेंसी क्लॉज को लागू कर प्रस्तावों को प्रेषित किया था. अर्जेंसी क्लॉज लागू करने के बाद भी अर्जन की कार्रवाई के विभिन्न चरणों में विलंब हुआ, जिसके चलते अधिक व्यय हुआ और 36 प्रस्ताव कालबाधित हो गए, जिसके कारण यीडा को य्188.64 करोड़ की हानि हुई. यीडा द्वारा सरकारी भूमि उच्च दरों पर पुनर्ग्रहित की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप 128.02 करोड़ का अधिक भुगतान हुआ था.

प्राधिकरण ने बिना कोई रूपरेखा के आवश्यकता से अधिक भूमि क्रय की, जिसके कारण 160.23 करोड़ की धनराशि अवरुद्ध हुई और भूस्वामियों को अनुचित लाभ हुआ. नियोजित क्षेत्र में शामिल न होने के बावजूद तीन गांवों की भूमि के अर्जन के प्रस्तावों को वापस लिए जाने सेय् 4.92 करोड़ का नुकसान हुआ.

बैंकों में गिरवी रखी जमीन भी खरीद ली: रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यीडा ने भूस्वामियों से सीधी खरीदी भूमि का दाखिल खारिज नहीं कराया. कई प्रकरण ऐसे थे, जिनमें जमीन बैंकों के पास गिरवी रखी थी, उसे भी यीडा ने खरीद लिया. अपर जिलाधिकारी (भूमि अर्जन) के पास अवरुद्ध 178.79 करोड़ की राशि की वापसी के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. इसके अलावा विकसित किए जाने वाले क्षेत्र का मात्र 5 से 36 प्रतिशत महायोजना 2031 के पहले चरण की समाप्ति तक विकसित किया जा सका.

29 सेक्टरों का लेआउट प्लान तैयार नहीं हुआ: महायोजना 2031 के अनुमोदन की तिथि से करीब नौ वर्ष बीतने के बावजूद प्राधिकरण 52 में से 29 सेक्टरों के लिए लेआउट प्लान तैयार नहीं कर पाया. यीडा ने फेज-2 में चार शहरी केंद्र चिह्नित किए, इनमें से सिर्फ अलीगढ़ और मथुरा की योजना तैयार हुई. आगरा और हाथरस के शहरी क्षेत्र को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. रिपोर्ट में दावा है कि इससे क्षेत्र में अवैध निर्माण, अधिसूचित जमीन पर कब्जे से इनकार नहीं किया जा सकता, जो बाद में विकास में रुकावट पैदा करेगा.

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