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Noida: फर्जी ढंग से लोन दिलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश
नोएडा: दादरी पुलिस ने अमित हत्याकांड मामले में बड़ा खुलासा किया. अमित ने एक कंपनी बना रखी थी, जिसके जरिए वह फर्जीवाड़ा कर लोन दिलाने के नाम पर ठगी कर रहा था. पुलिस ने इस गिरोह से जुड़े दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, जबकि एक महिला समेत कई आरोपी फरार हैं.
ग्रेटर नोएडा के डीसीपी साद मियां खान ने बताया कि यह मामला ऐस सिटी सोसाइटी में रहने वाले अमित की हत्या से जुड़ा है. इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड अमित ही था. इसी फर्जी धंधे के चलते रुपये के लेनदेन को लेकर अमित की हत्या की गई थी. अमित ने एक फर्जी कंपनी बना रखी थी, जिसमें लोगों की नौकरी दिखाकर फर्जी पे स्लिप के आधार पर वह बैंक में खाता खुलवाता था और लोन करवाता था. पुलिस गैंग में शामिल महिला आरोपी समेत अन्य की तलाश में जुटी है.
डीसीपी के मुताबिक दादरी पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड और लोन दिलाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनकी पहचान गोविंद सिंह निवासी फरीदाबाद हरियाणा और विशाल चंद्र निवासी ग्रेनो वेस्ट की इको विलेज-1 सोसाइटी के रूप में हुई है. पकड़े गए आरोपियों के पास 206 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चेक बुक, छह स्वाइप मशीन, 30 मोबाइल और एक लग्जरी गाड़ी बरामद की गई.
आधार कार्ड से पूरे खेल का पता चला पुलिस के मुताबिक इस फर्जीवाड़े का पूरा खेल आधार कार्ड के माध्यम से किया जाता था. यह गैंग रेंट एग्रीमेंट के जरिए फर्जी तरीके से आधार कार्ड में नाम, पता और मोबाइल नंबर बदलवा लेता था. इसके बाद अमित द्वारा बनाई गई कंपनी की पे स्लिप के आधार पर बैंक में खाता खुलवाया जाता था. इसके बाद बैंक से मोटा लोन पास करवा लिया जाता था. जिस व्यक्ति के नाम पर लोन लिया जाता था, उसे महज एक से दो लाख रुपये दिए जाते थे, बाकी रुपये आरोपी अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लेते थे.
मामले में असिस्टेंट बैंक मैनेजर की मिलीभगत
पुलिस के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में एक आरोपी विशाल की पत्नी की भूमिका सामने आई है. विशाल की पत्नी दिल्ली में एचडीएफसी बैंक की एक ब्रांच में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है. महिला की मिलीभगत से यह धंधा चल रहा था. पुलिस आरोपी महिला की तलाश में जुटी है. पुलिस का दावा है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद कुछ और बड़ा खुलासा किया जाएगा.
20 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की आशंका
पुलिस की अब तक की जांच में इस गिरोह द्वारा 15 से 20 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की आशंका जताई गई है. पुलिस के मुताबिक गैंग द्वारा लोन पास करवाने के बाद उस व्यक्ति का एड्रेस बदल दिया जाता था. इसके बाद दो-तीन किस्त चुकाने के बाद लोन बंद कर दिया जाता था. बैंक के कर्मचारी जब उस पते पर पहुंचते थे तो वहां कोई नहीं मिलता था.