उत्तर प्रदेश

Noida: डीजीएम को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर अपराधियों ने उनसे रकम निकलवाने का प्रयास किया

Admindelhi1
7 Nov 2024 11:03 AM GMT
Noida: डीजीएम को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर अपराधियों ने उनसे रकम निकलवाने का प्रयास किया
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बैंक से रिटायर्ड डीजीएम साइबर क्राइम थाने पहुंचे

नोएडा: बैंक से रिटायर्ड एक डीजीएम को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर अपराधियों ने उनसे रकम निकलवाने का प्रयास किया। इस पर पीड़ित ने समझदारी का परिचय देते हुए अपराधियों से बात करते हुए थाना साइबर क्राइम पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई। जब साइबर क्राइम पुलिस ने अपराधियों से बात की तब बदमाशों ने पीछा छोड़ा।

साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार गौतम ने बताया कि खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच से बताकर जांच के नाम पर डिजिटल अरेस्ट की एक घटना सेक्टर-119 स्थित एक सोसाइटी निवासी रिटायर्ड बैंक डीजीएम के साथ होते-होते बच गई। साइबर अपराधियों ने फोन कर अपना परिचय सीबीआई टीम के तौर पर दिया। फिर बताया कि मुंबई में टेलीकॉम एडवरटाइजिंग फ्रॉड में कई एफआईआर में आपका नाम है। करोड़ों के लेनदेन और गबन के लिए आपके आधार व पैन कार्ड का उपयोग कर खाता खुलवाए गए हैं। रिटायर्ड डीजीएम ने ऐसी संलिप्तता से इंकार किया।

उन्होंने बताया कि इसके बाद जांच कर केस से उनका नाम निकालने के बहाने साइबर ठगांे ने बुधवार सुबह करीब 11 बजे डिजिटल अरेस्ट कर लिया। उन्हें अपनी पत्नी से दूर रहने की सलाह दी। वीडियो कॉल पर ही सभी दस्तावेज जांच के बहाने जालसाज देखने लगे। रिटायर्ड डीजीएम से बैंक खातों का ब्यौरा व इंटरनेट बैंकिंग के ब्यौरे का वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा गया।

पीड़ित ने कहा कि वह रिटायर्ड होने के बाद मौजूदा समय में एक लेखा सेवा कंपनी के साथ काम करता है। उसका दफ्तर सेक्टर-6 में है जहां लैपटॉप में पूरा ब्यौरा मौजूद है। तत्काल जांच का खौफ दिखाकर अपनी निगरानी में जालसाजों ने उसे दफ्तर जाने को कहा। पीड़ित भी डर गया और कार से दफ्तर के लिए निकला। जालसाज लगातार उसकी लोकेशन भी देख रहे थे। सेक्टर-34 मेट्रो स्टेशन के पास पीड़ित जब पहुंचा तो कॉल पर ही उसे ठगांे ने धमकी दी कि तुम्हारे पीछे दो सीबीआई के इंस्पेक्टर मौजूद हैं। होशियारी की तो कुछ भी हो सकता है।-

थाना प्रभारी ने बताया कि ठगों की यह बात सुनकर पीड़ित और डर गया। रास्ते में उन्हें सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाना दिखा। शाम करीब 3 बजे उन्होंने हिम्मत दिखाई तथा अपनी कार किनारे लगाकर बहाना बनाकर वह थाने पहुंच गए। हड़बड़ाहट देखकर थाना प्रभारी ने कारण पूछा तो पीड़ित ने अपनी बेगुनाही की दुहाई दी। थाना प्रभारी ने उन्हें अपने पास बैठाया पानी पिलाया तथा पूरी बात सुनी। पीड़ित ने बताया कि मोबाइल पर सीबीआई अधिकारी उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं। वह मोबाइल को डर के मारे कार में छोड़कर आए हैं। थाना प्रभारी ने मोबाइल मंगवाया और बात करने के लिए कहा। पुलिस के सामने भी साइबर अपराधी खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए केस में फंसाने की धमकी और जांच में सहयोग करने पर बचाने का आश्वासन देते रहे। आखिर में थाना प्रभारी ने पीड़ित से कहा कि यह बता दो कि मैं असली पुलिस के पास थाने आ गया हूं। यह बताने पर साइबर जालसाज कुछ हिचके। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपना परिचय बताते हुए धमकी दी कि पकड़े जाआगे, ठगी छोड़ दो। फिर साइबर अपराधियों ने पीड़ित से सभी तरह से संपर्क तोड़ दिया।

उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम थाना पुलिस ने पीड़ित के मोबाइल का परीक्षण करवाया। जालसाजों की तरफ से डाउनलोड करवाया गया एप को भी हटवाया गया। पीड़ित हरीश गुप्ता ने बताया कि वह पूरे घटनाक्रम से काफी डर गए थे। वह बैंक ऑफ महाराष्ट्र से डीजीएम के पद से रिटायर हुए हैं। सेक्टर-6 में एक कंपनी के साथ काम कर रहे हैं। हरीश गुप्ता ने बताया कि जालसाजों ने जांच के नाम पर पहले आधार कार्ड देखा। फिर उनके ही नाम का दूसरे आधार कार्ड की फोटोकॉपी भेज दी। एक लिंक भेज वीडियो कॉल किया। घर में कौन-कौन है पूछा और कहा कि पत्नी से दूर हो जाओ। बीच-बीच में जालसाज वीडियो कैमरा और अपनी आवाज भी बंद कर दे रहे थे। फिर यह बोलते थे कि जांच जारी है। साइबर क्राइम थाने पहुंचने के बाद हरीश गुप्ता का साइबर जालसाजों से जो संवाद हुआ उसमें उन्होंने जालसाजों से कहा कि उनके खिलाफ जो एफआईआर हुई हैं उसकी कॉपी भेज दीजिए। इस पर जालसाज भड़क गए और कहने लगे अभी तुम्हारे घर पर एफआईआर की कॉपी लेकर पुलिस आ रही है। खुद को सीबीआई का एसपी बता रहे एक जालसाज ने कहा कि हम आपको बचाने की कोशिश में जांच में कर रहे हैं और आप मेरी टीम पर संदेह कर रहे हैं।

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