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Noida: साइबर अपराधियों ने बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट रखकर 52 लाख रुपये हड़पे
नोएडा: साइबर अपराधियों ने धन शोधन केस में फंसाने की धमकी देकर निजी बैंक के प्रोजेक्ट मैनेजर को एक सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 52 लाख 50 हजार रुपये ठग लिए. आरोपियों ने पीड़ित से 10 खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर कराई. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
झारखंड निवासी 26 वर्षीय जय राज शर्मा ने पुलिस को बताया कि वह सेक्टर-20 में रहते हैं और सेक्टर-16 स्थित निजी बैंक में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. वह 11 को घर पर थे तभी उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आई. कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया का कर्मचारी बताया. उसने कहा कि उनका मोबाइल नंबर किसी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया है. दो घंटे में नंबर बंद हो जाएगा.
ज्यादा जानकारी के लिए मोबाइल में एक दबाने के लिए कहा गया. ऐसा करते ही कथित रूप से मुंबई के साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी से बात हुई. उस अधिकारी ने कहा कि आप जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के सात करोड़ रुपये की मनी लॉंड्रिंग केस में लिप्त हैं. आपके खिलाफ कोलाबा मुंबई में केस दर्ज है. इसी बीच आरोपियों ने स्काइप कॉल पर उनको ले लिया. फिर कथित मुंबई पुलिस ने उनसे पूछताछ शुरू की और एफआईआर और नोटिस दिखाया.
ठगों ने जय से कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. उनसे लगातार कैमरे और मोबाइल के सामने बैठने के लिए कहा गया. इसी क्रम में यह भी जानकारी दी गई कि मामले की सुनवाई डिजिटल तौर पर अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में होगी. अगले दिन ऐसा ही हुआ. बैंक, स्टॉक और म्यूचुअल फंड के बारे में पीड़ित से जानकारी एकत्र की गई. डिजिटल सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने कहा कि सारी रकम सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट में ट्रांसफर की जाए ताकि आरबीआई इसकी जांच कर सके.
पिता से भी ली रकम ठगों ने कहा कि आईबीआई से क्लीन चिट मिलते ही रकम फिर से पीड़ित के मूल खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी. पीड़ित ने इसके बाद 29 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद पीड़ित पर जेल जाने से बचने के लिए और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा. उसने पिता से पैसे लेकर भी जालसाजों द्वारा बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए. 52 लाख 50 हजार रुपये ट्रांसफर करने के बाद भी जब ठगों की मांग बढ़ती गई तो शिकायतकर्ता को शक हुआ और उसने रकम ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया. इसके बाद ठगों ने पूरी तरह से पीड़ित से संपर्क तोड़ दिया. कुल सात दिन तक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया. खास बात यह है कि पीड़ित इस दौरान ड्यूटी पर भी गया और वह लैपटॉप और मोबाइल के जरिये ठगों से स्काइप कॉल पर जुड़ा रहा.