उत्तर प्रदेश

अस्पतालों में दवा नहीं, कैसे खत्म हो टीबी, एमडीआर से लेकर सामान्य टीबी मरीज को नहीं मिल रही दवा

Harrison
1 Sep 2023 5:52 AM GMT
अस्पतालों में दवा नहीं, कैसे खत्म हो टीबी, एमडीआर से लेकर सामान्य टीबी मरीज को नहीं मिल रही दवा
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उत्तरप्रदेश | सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की दवाएं खत्म हो गई है. यह संकट करीब एक पखवारे से है. बाजार में दवाएं बेहद महंगी हैं. जिसे खरीदने की क्षमता ज्यादातर मरीजों के पास नहीं है. ऐसे में टीबी मरीजों का कोर्स छूट रहा है. मरीजों में ड्रग रेजिस्टेंस होने का खतरा बढ़ रहा है. इसके साथ ही वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलने के लक्ष्य को भी झटका लगा है.
ज्यादा संकट मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरक्लोसिस (एमडीआरटीबी) के मरीज की है. जिले में एमडीआर टीबी के मरीजों की संख्या करीब 300 है. इन मरीजों की को दी जाने वाली ज्यादातर दवाएं इस समय टीबी अस्पताल में नहीं हैं. इसके कारण मरीज हलकान है. एमडीआर मरीजों को दी जाने वाली लिनेजालिड और क्लोफाजिमाइन खत्म हो गई है. यह दोनों महंगी दवाएं हैं. इसके अलावा साइक्लोसीरीन भी खत्म हो गई है. यह दवा एमडीआर के साथ सामान्य टीबी मरीजों को दी जाती है. एसाइक्लोपीरिन भी दवा खत्म है.
छूटा कोर्स तो बढ़ेगा दवा का प्रतिरोध
एमडीआर मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरा कोर्स छूटने का है. दवा के न मिलने से कोर्स छूट जाएगा. इससे मरीजों में ड्रग रेजिस्टेंस हो गया. वह एक्सडीआर टीबी में तब्दील होने का खतरा बढ़ जाएगा. एमडीआर टीबी के सबसे विकराल रूप को एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) के नाम से जाना जाता है. यह टीबी बड़े पैमाने पर दवा प्रतिरोधी होती है. ज्यादातर दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता है. टीबी का यह स्तर मरीजों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है. एक्सडीआर टीबी में मृत्युदर सर्वाधिक है.
स्थानीय खरीद में फंड की कमी आ रही आड़े
ऐसा नहीं है कि दवाओं का संकट सिर्फ जिले स्तर पर ही है. यह दवाएं शासन स्तर से ही नहीं मिल रहीं हैं. इसे जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. गणेश यादव स्वीकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकल पर्चेज से कुछ दवाओं को खरीदने की कोशिश की जा रही है. इसमें फंड की कमी आड़े आ रही है.
अस्पताल में एमडीआर टीबी के मरीजों की चार से पांच महत्वपूर्ण दवाएं नहीं हैं. इसके लिए शासन को सूचित किया गया है. लोकल पर्चेज की कोशिश की जा रही है. दवाएं मंहगी हैं. फंड कम हैं. सीएमओ से फंड मांगा गया है.
डॉ. गणेश यादव, जिला क्षय रोग अधिकारी
पांच महीने की एक्सपायरी वाली दवा भेज दी
एक तरफ तो दवाओं की कमी का संकट है. वहीं दूसरी तरफ विभाग को नजदीक एक्सपायरी वाली दवाएं ड्रग स्टोर से भेज दी जा रही हैं. टीबी अस्पताल को हाल ही में थ्री-एफडीसी मिली. यह दवा टीबी के सामान्य मरीजों को दी जाती है. इसका एक्सपायरी डेट जनवरी 2024 है. दवा को भेजने के साथ ही उसे जल्द खपाने का निर्देश दिया गया है.
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