उत्तर प्रदेश

नगर निगम में सेस-स्टांप के नाम पर नौ करोड़ का घोटाला

Admin Delhi 1
27 July 2023 10:06 AM GMT
नगर निगम में सेस-स्टांप के नाम पर नौ करोड़ का घोटाला
x

लखनऊ न्यूज़: सरोजनीनगर तहसील में पट्टे के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े किए गए. ग्राम समाज, चारागाह और तालाब के लिए सुरक्षित जमीन पर रुपये लेकर लोगों को पट्टे जारी कर दिए गए. बीबीपुर गांव में 70 बीघा सरकारी जमीन पर फर्जी पट्टे जारी किए गए. खुलासा तब हुआ, डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन की तलाश हुई. तहसील के रिकॉर्ड खंगाले गए तो पता चला कि जमीन तो है, लेकिन मौके पर कब्जे मिले. लोगों ने बताया कि जमीन पट्टे पर दी गई है.

जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक जमीन मैमोरा, जुनाबगंज से मोहनलालगंज की सड़क किनारे है. कानपुर रोड के पास जमीन की कीमत 12-14 करोड़ है. प्रशासन के अनुसार यह गड़बड़ी वर्ष 1982 से 1985 के बीच हुई. जिम्मेदार अफसरों की सूची भी तैयार कर डीएम को दी गई है. यहां 88 लोगों के नाम पर पट्टे दिखाए गए. किसी को पट्टा देते समय तय प्रक्रिया नहीं पूरी की गई. सुरक्षित जमीन का पट्टा नहीं हो सकता, लेकिन इसे भी पट्टा दे दिया गया. फर्जी पट्टे जारी कर कब्जा दिला दिया गया, लेकिन तहसील के रिकार्ड में जमीन सरकारी ही दर्ज रही. अब एसडीएम कोर्ट में जमीनें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हुई है. जैतीखेड़ा, अमौसी की जमीनें तो वापस सरकार के नाम दर्ज हो गईं लेकिन बीबीपुर की प्रक्रिया अभी चल रही है.

नगर निगम में लेबर सेस, स्टांप पेपर के नाम पर 9.62 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. वर्ष 2013-14 में तत्कालीन अफसरों, इंजीनियरों ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए खेल किया. ठेकेदारों से अनुबंध में 5.11 करोड़ रुपए का स्टांप पेपर ही नहीं लगवाए. 4.50 करोड़ लेबर सेस भी नहीं जमा कराए. सीएजी ने ऑडिट में इसका मामला पकड़ा है. लोक लेखा समिति ने नगर निगम अफसरों को 31 जुलाई 2023 को दस्तावेजों के साथ तलब किया है.

नगर निगम अफसरों ने वर्ष 2013-14 में कई घपले किए हैं. इस वर्ष विकास कार्यों के तमाम टेंडर कराए गए. नगर निगम ने विकास कार्यों के जो अनुबंध ठेकेदारों के साथ किए, स्टाम्प ही नहीं लगाया. यह रकम घोटाले में चली गई. सीएजी ऑडिट में वित्तीय वर्ष 2013-14 में ही स्टांप पेपर में 5.11 करोड़ का घपला पकड़ा गया है. ठेकेदारों को भुगतान की रकम में 1 लेबर सेस की कटौती होनी थी. ठेकेदारों को लाभ के लिए नगर निगम अफसरों, इंजीनियरों ने रकम की कटौती नहीं की. इससे सरकार को 4.50 करोड़ का नुकसान हुआ. लोकलेखा समिति ने 31 जुलाई को नगर निगम को तलब किया है.

Next Story