उत्तर प्रदेश

गंगा में गंदगी गिरने पर एनजीटी सख्त, कंपनी का भुगतान रोका

Admin Delhi 1
16 March 2023 1:55 PM GMT
गंगा में गंदगी गिरने पर एनजीटी सख्त, कंपनी का भुगतान रोका
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कानपूर न्यूज़: शहर में बॉयोरेमेडिएशन के जरिए गंगा में गंदगी पर अंकुश के सारे दावे फेल हो गए. छह नालों की गंदगी इस जैविक उपचार के बाद भी गंगा में गिर रही है. हकीकत यह है कि बॉयोरेमेडिएशन के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है. जांच में इसका खुलासा होने के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने सख्ती दिखाई है. शासन ने भी कार्रवाई का निर्देश दिया है. डीएम के निर्देश पर फिलहाल संबंधित कंपनी का भुगतान रोक दिया गया है.

अभी तक दावा था कि रानी घाट, गोला घाट, रामेश्वर घाट, सत्तीचौरा, मैस्कर घाट और डबका नालों से गंगा में जा रही गंदगी को जैविक उपचार (बॉयोरेमेडिएशन) के जरिए रोका जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी जांच की तो बॉयोरेमेडिएशन प्लांट छह माह से बंद पड़े मिले. एनजीटी ने इस रिपोर्ट के बाद कार्रवाई का निर्देश दिया है.

डीएम विशाख जी ने बॉयोरेमेडिएशन की निगरानी के लिए नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम गठित करने का निर्देश दिया. इस टीम में क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के पर्यावरण अभियंता आरके पाल को रखा गया है.

बॉयोरेमेडिएशन करने वाली कंपनी को हर पंद्रह दिन का भुगतान किया जाता था. फिलहाल मार्च का भुगतान रोक दिया गया है.

फ्लो मीटर से मापी जाएगी गंदगी पर्यावरण अभियंता ने इस संबंध में कंपनी को नोटिस भी भेजा है. डीएम का निर्देश है कि संयुक्त टीम हर 15 दिन में एक बार नालों की गंदगी रोकने के उपचार की हकीकत मौके पर देखेगी. औचक निरीक्षण भी होगा. अगर बॉयोरेमेडिएशन नहीं मिला तो कंपनी को आगे का भुगतान भी नहीं दिया जाएगा.

गंदगी के फ्लो का भी रजिस्टर बनाया जाएगा. इसे फ्लो मीटर से मापा जाएगा.

सिर्फ जुर्माना लगाकर कर ली गई थी इतिश्री

जांच में यह बात भी सामने आई है कि बॉयोरेमेडिएशन सिर्फ कागजों में चल रहा था. प्रदूषण बोर्ड के अफसरों ने जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय को दी तो सभी के होश उड़ गए. इसके बावजूद कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जुर्माना लगाकर इतिश्री कर ली गई.

जानिए, क्या है बॉयो रेमेडियल तकनीक

इस तकनीक के जरिए नालों में निश्चित दूरी पर बोरियों में बांधकर बैक्टीरिया डाले जाते हैं. बैक्टीरिया नालों की गंदगी खा जाते हैं. इससे आगे विशेष प्रकार की झाड़ी लगाई जाती है ताकि आगे बढ़ने वाला पानी शुद्ध हो जाए. इस तकनीक के जरिए नालों में गिरने वाली गंदगी ट्रीट करके रोकी जाती है.

बॉयोरेमेडिएशन प्लांट की मॉनीटरिंग शुरू कर दी गई है. गंदगी के फ्लो को देखा जा रहा है. आगे भी कमी मिली तो कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. संयुक्त टीम को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. -विशाख जी, जिलाधिकारी

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