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उत्तर प्रदेश
रेलवे की मनमानी कार्यवाही के कारण कर्मचारियों को मिलने वाले परिणामी लाभ छीने नहीं जा सकते
Admin4
4 Oct 2023 8:00 AM GMT
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेलवे के कर्मचारियों को उनके आवेदन की तारीख से काल्पनिक पदोन्नति देने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को इस आधार पर बरकरार रखा कि रेलवे की एक शाखा के कारण होने वाली देरी और दूसरी शाखा की मनमानी कार्यवाही के कारण कर्मचारियों को मिलने वाले परिणामी लाभ छीने नहीं जा सकते हैं।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार (चतुर्थ) की खंडपीठ ने यूनियन ऑफ इंडिया व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। दरअसल इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई (आईसीएफ) में नियुक्त और सेवारत कर्मचारियों ने कोच मिड लाइफ रिहैबिलिटेशन वर्कशॉप (सीएमएलआरडब्ल्यू), झांसी में प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे 2013 में स्वीकार भी कर लिया गया। इसके बाद 2018 में कर्मचारियों ने आईसीएफ, चेन्नई में वापस जाने के लिए सीएमएलआरडब्ल्यू में आवेदन किया।
हालांकि आईसीएफ द्वारा इस प्रत्यावर्तन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इसके लिए कोई वैध या ठोस कारण का खुलासा नहीं किया गया था।परिणामस्वरुप कर्मचारियों ने यह कहते हुए एक और आवेदन किया कि उनकी पदोन्नति चेन्नई मूल विभाग में ही होनी है।
कैट के समक्ष मामला लंबित रहने के दौरान कैट ने सभी परिणामी लाभों के साथ 2018 से कर्मचारियों को काल्पनिक पदोन्नति दे दी, जिसे हाईकोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार द्वारा चुनौती दी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि आवेदनों को एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित करने में अधिकारियों की ओर से हुई देरी के कारण कर्मचारियों से पदोन्नति का अधिकार नहीं छीना जा सकता है।
इसके अलावा प्रतिनियुक्ति पर सेवारत लोगों को आमतौर पर उनके मूल प्रतिष्ठान में नहीं लौटाया जा सकता है, यह खंड केवल इसलिए जोड़ा गया है, जिससे कर्मचारियों को प्राथमिकताओं के आधार पर एक कैडर से दूसरे कैडर में बार-बार स्विच करने से रोका जा सके। इसके साथ ही यह भी नोट किया गया कि पदोन्नति या प्रत्यावर्तन के विरुद्ध कोई पूर्ण नियम नहीं है।
अंत में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने माना कि यह केवल एक विभागीय कार्य था, जिसे आईसीएफ द्वारा अपने कर्मचारियों के हित में पहले ही संपादित कर देना चाहिए था। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विपक्षियों को वापस शामिल होने की अनुमति न देना और कैडर बंद होने तक इंतजार करने के लिए मजबूर करना रेलवे विभाग का मनमाना कार्य था।
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