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बजट की कमी से नए विकास कार्य रुके, निगम के पास भुगतान करने के लिए भी पैसे नहीं
गाजियाबाद न्यूज़: नगर निगम में बजट का संकट पैदा होने से नए विकास कार्य शुरू नहीं हो रहे हैं. पार्षद वार्डों में विकास कार्य कराने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. निगम के पास इतने भी पैसे नहीं बचे कि ठेकेदारों का भुगतान किया जा सके. यह संकट आने वाले दिनों में और गहरा सकता है.
नगर निगम का एक हजार से ज्यादा का बजट है. निगम को शासन से बजट नहीं मिलता. हाउस टैक्स, पार्किंग शुल्क, विज्ञापन शुल्क, लाइसेंस शुल्क आदि से फंड जुटाने का इंतजाम किया जाता है. निगम को शासन से अवस्थापना निधि का पैसा मिलता था, लेकिन वह भी दो साल से नहीं मिल रहा. इसका असर निगम में दिखाई देने लगा है. यही कारण है कि निगम में बजट का संकट पैदा हो गया है. सूत्रों ने बताया निगम के निर्माण विभाग, उद्यान विभाग, प्रकाश विभाग और जलकल विभाग के पास पर्याप्त बजट नहीं बचा है. इस कारण सभी विभाग नए विकास कार्यों को शुरू नहीं कर रहा. अधिकारी पार्षदों के प्रस्ताव पर अब कोई विचार नहीं कर रहे हैं. इस तरह निगम के पास बजट नहीं होने का असर वार्डों के विकास कार्य पर पड़ने लगा है.
प्रस्ताव पास होने के बाद भी बजट नहीं मिला निर्माण विभाग, उद्यान विभाग समेत कई विभागों ने बजट की मांग की थी. इसके लिए कार्यकारिणी बैठक में प्रस्ताव पास कराया गया. प्रस्ताव पास होने के बावजूद विभागों को बजट नहीं दिया जा रहा. अधिकारी बजट नहीं होने का हवाला देकर नए कार्यों के प्रस्ताव नहीं ले रहे हैं.
इन विभागों को इतना बजट मिला था वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रकाश विभाग को 19 करोड़ से ज्यादा का बजट प्रस्तावित किया गया. स्वास्थ्य विभाग को 164 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित हुआ. उद्यान विभाग को 37 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित था. निर्माण विभाग को 189 करोड़ से ज्यादा का बजट देना प्रस्तावित था. बोर्ड बैठक में अन्य विभागों के लिए भी बजट प्रस्तावित किया गया.
निर्माण विभाग के पास केवल दो करोड़ बचे निगम सूत्रों ने बताया निर्माण विभाग को विभिन्न मद के लिए बजट मिलता है. लेकिन मौजूदा समय में निर्माण विभाग के पास दो करोड़ रुपये ही बचे हैं. यह बजट आपातकाल में कार्य कराने के लिए रखा गया है. वहीं उद्यान विभाग के पास अब पैसा नहीं है.
ठेकेदार भुगतान के लिए भटक रहे:
निगम ठेकेदार भुगतान के लिए भटक रहे हैं. वह निगम अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. ठेकेदारों ने चार दिन पहले लेखाधिकारी से मिलकर भुगतान कराने की मांग की थी. ठेकेदारों को करीब 300 करोड़ रुपये का भुगतान होना है. हालांकि निगम करीब 30 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है.
इसलिए आ रही दिक्कत:
शासन से निगम को दो साल से अवस्थापना निधि का पैसा नहीं मिल रहा है. करीब 500 करोड़ रुपये आने हैं. वित्त आयोग का जो पैसे आता है उसमें शर्तें लगा दी है. इसके अलावा
कुछ पार्षदों ने हाउस टैक्स में बढ़ोतरी नहीं होने दी. निगम की दुकानों का किराया नहीं बढ़ने दिया गया. इनमें बढ़ोतरी होने से निगम को हर साल 150 करोड़ रुपये की आय होती.
निगम अधिकारी शासन को निगम की हकीकत के बारे में अवगत नहीं करा रहे हैं. निगम में काफी समय से बजट का संकट है. शासन वे अवस्थाना निधि का पैसा मांगना अधिकारियों ने बंद कर दिया है.-राजेंद्र त्यागी, भाजपा पार्षद