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बड़ी खबर
फतेहपुर। जिले में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र थरियांव में भरतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया। केंद्र प्रभारी डॉ. साधना वैश ने कहा कि प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है क्योंकि इसको अपनाकर ही हम गुणवत्तापूर्ण उत्पादन लेने के साथ ही अपनी भूमि को स्वस्थ रख सकते हैं, साथ ही उन्होंने प्राकृतिक पोषक रसोई व बागवानी पोषण सुरक्षा के महत्व पर भी जानकारी दी। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार पांडे ने प्राकृतिक खेती के मूल सिद्धांतों तथा गाय की भूमिका पर चर्चा की।
कहा कि खेती की इस विधा में रसायनों का उपयोग पूर्ण रूप से वर्जित होता है तथा देसी गाय के गोबर व मूत्र का विभिन्न रूपों में प्रयोग करके अपने खेतों में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही खेत में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा तथा कछुओं की संख्या बढ़ाने में भी सहायक हैं। इससे ना सिर्फ हमारा उत्पादन गुणवत्तापूर्ण होता है बल्कि हमारी भूमि भी चिरकाल तक स्वस्थ बनी रहती है और खेती में लागत भी बहुत कम हो जाती है। कार्यक्रम के संचालक व सस्य वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्राकृतिक खेती में किन-किन फसलों का चयन करें तथा उत्पादन व प्रबंधन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। प्रसार वैज्ञानिक डॉ नौशाद आलम ने प्राकृतिक खेती का सब्जी उत्पादन प्रबंधन में महत्व पर जानकारी दी।
डॉ. जगदीश किशोर ने फसल सुरक्षा प्रबंधन, डॉ. पृथ्वी पाल ने प्राकृतिक तरीके से सब्जी उत्पादन तकनीक, डॉ. अलका कटियार ने भारतीय प्राकृतिक उसी को आगे बढ़ाने में महिलाओं का क्या योगदान है, पर चर्चा की तथा डॉ. वसीम खान ने प्राकृतिक खेती में मौसम के प्रभाव पर जानकारी दी। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद प्राकृतिक खेती के प्रगतिशील कृषक रमाकांत त्रिपाठी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। उन्होंने बताया कि देसी गाय के गोबर व मूत्र की मदद से बनने वाले विभिन्न अवयव जैसे जीवामृत, बीजामृत घनामृत व दसपरणीय आदि की मदद से हम विषमुक्त व रसायन मुक्त खेती कर के अपने उत्पादन अपने स्वास्थ्य व प्रकृति को सदैव सुरक्षित रख सकते हैं।
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