उत्तर प्रदेश

Muzaffarnagar: पालिका ने शहर के 177 निजी अस्पतालों को नोटिस भेजा

Admindelhi1
1 Oct 2024 6:16 AM GMT
Muzaffarnagar: पालिका ने शहर के 177 निजी अस्पतालों को नोटिस भेजा
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नगरपालिका की आय बढ़ाने के प्रयास तेज

मुजफ्फरनगर: नगरपालिका परिषद की आय बढ़ाने के लिए चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप द्वारा अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पालिका टैक्स विभाग ने व्यवसायिक लाइसेंस नहीं लेने वाले निजी अस्पतालों की सूची तैयारी कराई है। शहरी क्षेत्र में संचालित हो रहे 177 निजी अस्पतालों को व्यवसायिक लाइसेंस बनवाने के लिए 15 दिन का समय देते हुए नोटिस दिया है।

शहर में 177 निजी अस्पतालों की सूची बनाकर इनको 15 दिनों में अपना अपना व्यवसासिक लाइसेंस बनाने के लिए कहा गया है। इन सभी निजी अस्पतालों के मालिकों से 10 साल का बकाया लाइसेंस शुल्क मांगा गया है। 10 साल के लिए एक अस्पताल पर व्यवसायिक लाइसेंस शुल्क के रूप में करीब 20 हजार रुपये का बकाया बताया गया है।

प्रति वर्ष लाइसेंस फीस 2000 रुपये की दर से तय की गई है। ऐसे में यदि इन 177 निजी अस्पतालों से पालिका 10 साल की बकाया वार्षिक लाइसेंस फीस वसूलने में सफल होती है तो पालिका को 35.40 लाख रुपये की अतिरिक्त आय होगी।

पालिका कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव ने बताया कि शहरी क्षेत्र में निजी अस्पतालों, आबकारी विभाग की देसी-विदेश मदिरा और बीयर व भांग की दुकानों, बड़े शॉपिंग कॉम्प्लैक्स व शोरूम, होटल, रेस्टोरेंट और बैंक्वेट हाल के व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनवाने की कार्यवाही शुरू की गई है।

इसके लिए सीएमओ और जिला आबकारी अधिकारी से दुकानों व अस्पतालों की सूची मांगी गई थी। इसमें सीएमओ कार्यालय से शहरी क्षेत्र में 177 निजी अस्पतालों के संचालन की सूची पालिका को भेजी गई है। इनको नोटिस जारी करते हुए साल 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस बनवाने के लिए कहा गया है और 2014 से 2024 तक के लिए दस सालों की लाइसेंस बकाया फीस जमा कराने के लिए भी निर्देशित किया गया है।

कर निर्धारण अधिकारी दिनेश यादव ने बताया कि 1998 में निकायों में व्यवसायिक लाइसेंस बनवाने के लिए शासनादेश जारी किया गया था। इसमें अस्पतालों को भी शामिल किया गया। इसके बाद आईएमए ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इस पर साल 2002 में कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया और यह स्टे साल 2014 तक जारी रहा था। इसके बाद आईएमए कोर्ट में हार गई और शासनादेश के पक्ष में आदेश आने पर साल 2014 से ही इसको लागू माना गया था। इस कारण ही निजी अस्पतालों को साल 2014 से व्यवसायिक वार्षिक लाइसेंस शुल्क जमा कराने के लिए नोटिस दिया गया है।

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