उत्तर प्रदेश

पिछड़ गया मुज़फ्फरनगर, खरीफ क्राप कटिंग की समीक्षा में दर्जनों लेखपाल मिले लापरवाह

Shantanu Roy
18 Dec 2022 10:57 AM GMT
पिछड़ गया मुज़फ्फरनगर, खरीफ क्राप कटिंग की समीक्षा में दर्जनों लेखपाल मिले लापरवाह
x
बड़ी खबर
मुजफ्फरनगर। खरीफ सीजन की क्रॉप कटिंग की ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर राजस्व विभाग पूरी तरह से लापरवाह साबित हो रहा है। इसमें मुख्य तौर पर लेखपालों की लापरवाही के कारण मुजफ्फरनगर जनपद ऑनलाइन खरीफ फसल क्रॉप कटिंग में सहारनपुर मंडल में फिसड्डी साबित हुआ है। 178 गांवों में से केवल 3 गांवों में ही काम किया गया है, जिस पर चिंता जाहिर की गई। शासन की विभाग के प्रति नाराजगी के कारण गंभीर स्तर पर लापरवाही बरतने वाले करीब 6 लेखपालों को विभागीय अफसरों ने जवाबहेदी सुनिश्चित करते हुए नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही रबी सीजन में फसल क्रॉप कटिंग के लिए सीसी एग्री एप पर प्रदर्शन बेहतर बनाने पर जोर दिया गया। इसके लिए जल्द ही लेखपालों का विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित कराने का निर्णय लिया गया है। कलेक्ट्रेट स्थित चौ. चरण सिंह सभाकक्ष में शुक्रवार को खरीफ फसल क्रॉप कटिंग की समीक्षा एवं रबी फसल क्रॉप कटिंग की तैयारियों के लिए प्रशिक्षण सभा का आयोजन किया गया। इसमें संख्यिकी विभाग की मंडलीय टीम के साथ ही जिला स्तरीय अधिकारियों ने राजस्व विभाग की टीम के साथ मिलकर आपसी समन्वय पर जोर देते हुए लक्ष्य हासिल करने पर जोर दिया। बैठक के दौरान मंडलीय अधिकारियों ने इस बात पर नाराजगी जताई की खरीफ फसल की क्रॉप कटिंग के लिए शासन की विशेष प्राथमिकता वाले सीसी एग्री एप पर काम ही नहीं किया गया है। इसके लिए राजस्व निरीक्षकों के कार्य के साथ ही फील्ड में लगाये गये लेखपालों की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कार्य में सुधार के निर्देश दिये गये हैं।
बैठक में आये मंडलीय सांख्यिकी अधिकारी सहारनपुर दीपक ओली ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि सीसी एग्री एप पर क्रॉप कटिंग की फीडिंग को शासन द्वारा अनिवार्य किया जा रहा है, क्योंकि जल्द ही इसी ऑनलाइन व्यवस्था के आधार पर किसानों को फसल बीमा, क्षतिपूर्ति के साथ ही अन्य सुविधा और सहायता प्रदान करने का काम किया जायेगा। इसमें लापरवाही को लेकर शासन बेहद सख्त है और लगातार कार्यवाही की जा रही है। यदि सुधार नहीं हुआ तो मुजफ्फरनगर जनपद भी कार्यवाही की जद में होगा। राजस्व और संख्यिकी विभाग की टीम मिलकर क्रॉप कटिंग का कार्य करती है। बताया गया कि खरीफ क्राप कटिंग के आधार पर ही जनपद में धान की फसल की औसतन उपज और उत्पादन के आंकड़े तैयार किए जाते हैं। क्रॉप कटिंग कर इसका मूल्यांकन होता और मानक से कम उपज होने पर किसानों को सरकार की तरफ से क्षति पूर्ति का लाभ मिलता है। एक गांव में चार-चार स्थानों से क्रॉप कटिंग कराई जाती है। इसमें 20 हेक्टेयर या इससे अधिक फसल वाले गांवों को ही शामिल किया जाता है। क्राप कटिंग के लिए एक वर्ग मीटर की सरिया की बनाये गये यंत्र से रैंडमली डालकर कटाई कर ली जाती है और उसकी पिटाई करके उसका औसत उत्पादन निकाल लिया जाता है। इस प्रकार पूरे प्रक्षेत्र पर औसत उत्पादन का आंकलन कर उत्पादन प्राप्त कर लिया जाता है। बताया कि वर्ष 2022 की खरीफ कटिंग से ब्लाक तहसील एवं जिले की औसत उपज के बारे में जानकारी मिलती है और इससे शासन को अवगत कराया जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर जनपद का फसल उत्पादन तय होता है।
जिले की सहायक सांख्यिकी अधिकारी प्रियंका यादव ने बताया कि आज खरीफ क्रॉप कटिंग 2022-23 की समीक्षा के साथ ही रबी क्रॉप कटिंग 2022-23 के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें सभी राजस्व निरीक्षकों को बुलाया गया था। उन्होंने बताया कि खरीफ क्रॉप कटिंग में धान की फसल के मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों स्तर पर काम किया गया है। ऑनलाइन के लिए सीसी एग्री एप पर जो लक्ष्य दिया गया था, उसमें जिला बुरी तरह से पिछड़ा है। जिले में 712 स्थान यानि 178 गांवों में सीसी एग्री एप के जरिये क्रॉप कटिंग कराकर आंकड़े दिये जाने थे, लेकिन इसमें केवल 12 स्थानों यानि 4 गांवों के आंकड़े ही दिये गये हैं। इसमें तालिका-1, 2, 3 नहीं दी जा रही है। भार तालिका और भाव तालिका में आंकड़े नहीं दिये गये हैं। बार बार चेतावनियों को भी फील्ड में लगाये गये लेखपालों के द्वारा लापरवाही बरती गयी है। इसके लिए शासन स्तर पर भी नाराजगी जताई गई है। अब 15 जनवरी तक पूर्ण आंकड़े मांगे गये है, 30 जनवरी तक शासन को यह आंकड़े भेजे जायेंगे। इसके बाद धान की औसत उपज का आंकड़ो जनवरी तक शासन स्तर से जारी हो पायेगा।
Next Story