- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- Muzaffarnagar: मिथलेश...
Muzaffarnagar: मिथलेश और सुम्बुल में सिमटा सीधा मुकाबला, बसपा नहीं आई फ्रेम में नज़र
मुज़फ्फरनगर: मीरांपुर विधानसभा उपचुनाव में बुधवार को हुए मतदान में रालोद भाजपा की गठबंधन प्रत्याशी मिथलेश पाल व सपा कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सुम्बुल राणा के बीच सीधा मुकाबला दिखाई पड़ा । मिथलेश पाल को उनकी जाति पाल समाज समेत सभी अति पिछड़ा वर्ग और बीजेपी- रालोद का परम्परागत वोट भरपूर मिलता दिखाई पड़ा।
वहीं सुम्बुल राणा को सपा का परम्परागत मुस्लिम वोट थोक में मिलता दिखाई दिया इसके अलावा गुर्जर, सैनी, सिख, दलित, बाल्मीकि,जाट, ब्राह्मण भी बोनस के रूप में मिलने के दावे प्रत्याशी की ओर से किये जा रहे हैं।
अति पिछड़ा वर्ग,जाट, गुर्जर मतों की अधिकता वाले गांवों में रालोद प्रत्याशी के पक्ष में रुझान साफ़ नजर आया। भोकरहेड़ी, करहेड़ा, बेलड़ा, घटायन समेत अन्य गांवों में रालोद प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओं की लामबंदी दिखी।
मुस्लिम मतों की अधिकता वाले ककरौली, सीकरी, मीरापुर, जटवाड़ा, जौली आदि में सुबह मुस्लिम मतदाता सपा और कुछ आसपा के बीच बंटते नजर आए लेकिन हंगामा होने और ककरौली में पथराव के बाद मुस्लिम मतों की लामबंदी सपा प्रत्याशी के समर्थन में एकतरफा दिखी।
सीकरी में मतदान रोके जाने की खबर पर मतदाताओं के बीच सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना और आसपा प्रत्याशी जाहिद हुसैन पहुंच गए, यहां भी मुस्लिम मतदाता एकतरफा सपा के पाले में खड़े नजर आए। आसपा ने आक्रामक तरीके से चुनाव तो लड़ा, लेकिन एन वक्त पर मुस्लिम मतदाता आसपा से छिटके हुए नजर आए।
अनुसूचित जाति के मतदाताओं में भी बिखराव नजर आया। युवाओं ने आसपा को तरजीह दी, दलितों का बड़ा भाग इस बार केतली पर नज़र आया, कुछ परम्परागत मतदाताओं की पहली पसंद बसपा ज़रूर नजर आई, पर उनकी संख्या बहुत ज़्यादा नहीं दिखाई दी। भाजपा-रालोद गठबंधन और सपा के हिस्से में भी कुछ दलित मतदाता नज़र आए।
तीसरे नंबर पर आज़ाद समाज पार्टी के प्रत्याशी ज़ाहिद हुसैन नज़र आ रहे है, जो मुस्लिमो में तो ज़्यादा पैठ न बना सके और दलित वोट तक सिमटते प्रतीत हुए हैं। ओवैसी की पतंग भी आशा के अनुरूप न उड़ सकी, उनकी रैली में जोश ज़रूर दिखा था लेकिन मतदान के दिन उसका असर कहीं नज़र नहीं आया।
बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी शाह नजर कहीं फ्रेम में भी नजर नहीं आये। दलितों ने भी अब ‘बहनजी’ से किनारा कर लिया है और चद्रशेखर को अपना नया नेता मान लिया है, यह आज मतदान के दिन पोलिंग बूथों पर घूमने से साफ़ नज़र आया। बीजेपी को सीधी टक्कर देने के दावे कर रही आज़ाद समाज पार्टी और ऑल इंडिया इत्तीहादुल मुस्लिमीन पार्टी के प्रत्याशी अनेक बूथों पर अपना एजेंट तक भी न बना सके और बसपा के समर्थकों के लिए तो यह उपचुनाव निराश करने वाला साबित हुआ।
प्रत्याशियों की किस्मत अब ईवीएम में बंद हो गई, जो 23 तारीख को मतगणना के दिन खुलेगी, लेकिन आज जिस तरह मुस्लिम गावों में पुलिस प्रशासन ने मतदान रोका उसने सुम्बुल की उम्मीदें गड़बड़ा दी है और मिथलेश पाल एक बार फिर उपचुनाव जीतने के अपने रिकॉर्ड को बनाती नज़र आ रही है।