उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुस्लिम लॉ बोर्ड का बयान आया

jantaserishta.com
18 May 2022 3:02 AM GMT
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुस्लिम लॉ बोर्ड का बयान आया
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नई दिल्ली: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (AIMPLB) ने मंगलवार को देर रात बैठक की. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सीधे तौर पर पक्षकार नहीं है, लेकिन कानूनी लड़ाई मजबूती के साथ लड़ेगा. ऐसे में बोर्ड की लीगल टीम मुस्लिम पक्ष को हर संभव मदद देगी. इसके अलावा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति से मिलकर 1991 पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने की अपील करेगा.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को रात आठ बजे से साढ़े 10 बजे तक वर्चुअल बैठक की. यह बैठक बोर्ड के अध्यक्ष राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें देशभर के 45 सदस्य शामिल हुए थे. इस दौरान ज्ञानवापी समेत अन्य विवादित मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की गई और आगे की लड़ाई के लिए रणनीति बनी है कैसे कानूनी तौर पर इस मामले में बोर्ड अपनी भूमिका अदा करेगा. बैठक में मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की गई तथा इसे देश के अमन-शांति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश बताया गया.
मुस्लिम पक्ष को कानूनी मदद के लिए लीगल टीम गठित
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बोर्ड ने तय किया है कि बात चाहे काशी के ज्ञानवापी मस्जिद की हो या मथुरा के ईदगाह मस्जिद और दिल्ली के कुतुबमीनार की. इन सभी मामलों में मस्लिम पक्ष के वकीलों के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूरी शिद्दत से खड़ा रहेगा और उन्हें कानूनी लड़ाई में मदद भी करेगा. मंगलवार को अदालत में चर्चा और पेश किए गए मामलों को देखेंगे और हमारी कानूनी टीम मुस्लिम पक्ष की मदद करेगा.
बोर्ड ने मुस्लिम पक्ष को कानूनी मदद के लिए बाकायदा पांच सदस्यीय लीगल टीम भी गठित की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील शामिल किए गए हैं. यह टीम ही मुस्लिम पक्ष को पूरे मामले में कानूनी मदद करेगा. इसके साथ-साथ मीडिया में पक्ष रखने के लिए बोर्ड के सदस्यों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें कासिम रसूल इलियास और कमाल फारूकी को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
शिवलिंग मिलने के दावे को अफवाह बताया
बोर्ड की मीटिंग में सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे वाले स्थान को सील करने के कोर्ट के आदेश को गलत ठहराया गया. साथ ही कहा गया कि वह इन मामलों में गंभीरता से आगे बढ़ाएगा. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस तरह से अफवाह के जरिए अदालत का मिस यूज किया जा रहा है. ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की न तो अभी कोई रिपोर्ट कोर्ट में दी गई है और न ही कोई बात रखी गई है. अफवाह की बुनियाद पर शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, जो झूठ है. इन अफवाह को रोक लगाने के लिए बोर्ड गुहार लगाएगा.
राष्ट्रपति से मिलेंगे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम पर केंद्र सरकार के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों का रुख भी जानने की कोशिश करेगा. सूत्रों की मानें तो बैठक में तय किया बोर्ड के सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को प्रोटेक्ट करने की गुहार लगाएगा, उनका मत है कि देश के धर्म स्थल को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कानून है तो फिर मुस्लिम धर्म स्थलों पर निचली अदालतें, क्यों उसमें दखल दे रही हैं.
समाज में सही तथ्य के लिए पुस्तक निकालेगा बोर्ड
बोर्ड की बैठक में यह भी तय किया गया कि धार्मिक स्थलों को लेकर जो भी विवाद है, उन पर आवाम को सही जानकारी पहुंचाने के लिए छोटी-छोटी पुस्तिका, किताबों का सहारा लेगी. इस तरह बोर्ड ने माना कि लोगों को सही तथ्यों से अवगत कराया जाए ताकि लोग गुमराह न हों. बैठक में यह भी संकेत दिया गया है कि वह अपने स्तर पर इन विवादित स्थलों का दस्तावेजी प्रमाण तैयार करने की भी तैयारी उसने की है, ताकि कोर्ट के साथ सरकार तथा समाज के सामने इनके वजूद को जोरदार तरीके से रखी जा सकें.
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को होगी सुनवाई
बता दें कि काशी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर सर्वे का काम पूरा हो गया है, जिसमें वजुखाने में शिवलिंग मिलने का हिंदू पक्ष दावा कर रहा है जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हु्ए वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की जगह की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है और साथ ही कहा है कि मुसलमानों के मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाने की मस्जिद कमेटी की मांग ठुकरा दी. मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 21 अप्रैल के आदेश को विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसके अलावा 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का भी मुस्लिम पक्ष की ओर से हवाला दिया गया है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की अब सुनवाई गुरुवार को करेगा.
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