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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव अप्रैल में कराए जा सकते हैं, पिछड़ा वर्ग आयोग इसी महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।कोर्ट की समय सीमा के मुताबिक आयोग को 31 मार्च 2023 तक ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट देनी थी।
प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर बहुत दिनों से प्रतीक्षा चली आ रही है, दावेदार निकाय चुनाव के लिए नजरें गड़ाए बैठे हैं, भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव की पूरी तैयारी किए बैठी है लेकिन इसी बीच पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर मामला अदालत में चला गया था, जिसके चलते निकाय चुनाव टल गए थे।
अदालत के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था जो जिलों का दौरा कर पिछड़ा वर्ग की गणना कराकर उनका आरक्षण सुनिश्चित कर रहा है। बताया जाता है कि आयोग अब तक 46 जिलों का दौरा कर चुका है और इसी महीने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा।
सूत्रों के मुताबिक यदि फरवरी माह में पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी तो मार्च में अन्य औपचारिकताएं पूरी कराकर प्रदेश सरकार अप्रैल में निकाय चुनाव करा देगी। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है।
माना जा रहा है कि बोर्ड परीक्षाएं खत्म होने के बाद प्रदेश सरकार निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकती सकती है, ओबीसी आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा, आरक्षण घोषित करने से पहले नगर विकास विभाग अनंतिम आरक्षण सूची जारी करेगा और इस पर हफ्ते 10 दिन के भीतर आपत्तियां मांगी जाएंगी. इन आपत्तियों के निस्तारण के साथ ही अंतिम आरक्षण सूची जारी की जाएगी।
आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते ही निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश अपनी ओर से चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। इसमें चुनाव की तारीखें तय हो जाएंगी।