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नगर निगम वार्ड-72 में चल रही सैकड़ों अवैध डेयरियों को निकालने में रहा नाकाम
मेरठ न्यूज़: नगर के मध्य स्थित मुस्लिम बाहुल्य वार्ड-72 में चल रही सैकड़ों अवैध डेयरियों को नगर निगम बाहर निकालने में नाकाम रहा है। जिनसे निकलने वाले गोबर को सबमसर्बिल के जरिये नालियों में बहा दिए जाने के कारण समूचे वार्ड की नालियां चोक रहती हैं। जिसके कारण अधिकांश सड़कें टूटकर क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिनमें हर समय पानी भरा रहता है। नगर निगम में इस वार्ड को पूर्वी इस्लामाबाद का नाम दिया गया है। जिसमें गोला कुआं, स्टेट बैंक कालोनी, बुनकरनगर, आजाद रोड, विकासपुरी, लोहारपुरा, रामनगर आदि मोहल्ले आते हैं। नंदन सिनेमा के पीछे से शुरू होने वाला यह वार्ड कमेला की ओर जाने वाले नाले के उत्तरी छोर में पड़ता है। नाला रोड से हापुड़ रोड को जोड़ने के लिए कई भीतरी मार्ग हैं, लेकिन इस वार्ड के संपर्क मार्ग और मोहल्ले नाला रोड से कई फीट गहरे हैं। इन बस्तियों की जलनिकासी के लिए कुछ जगह सीवर लाइन भी बिछाई गई है, लेकिन बुनकरनगर की विभिन्न गलियों में चलने वाली अवैध डेयरियों के कारण वार्ड की सूरत बिगड़ चुकी है। वकील इदरीशी, रईसुद्दीन, इरशाद आदि का कहना है कि वार्ड की जलनिकासी न होने के कारण यहां हर समय पानी भरा रहता है।
लिसाड़ी गेट बिजलीघर से विकासपुरी को आने वाले रोड पर मोमिन मस्जिद में आने-जाने वाले नमाजियों को गंदे पानी से होकर गुजरने पर मजबूर होना पड़ता है। बरसात के दौरान तो हालात बद से बदतर हो जाते हैं। डा. मोहम्मद इरशाद बताते हैं कि अकेले बुनकर नगर में करीब 40 डेयरियां हैं, जिनमें 400 से अधिक भैंसों का गोबर दिन में कई बार सबमसर्बिल चलाकर नालियों में बहा दिया जाता है। यह गोबर वार्ड की नालियों में बहते हुए जलनिकासी को अवरुद्ध कर देता है। जिसके कारण इन मोहल्लों में जलभराव स्थायी समस्या का रूप ले चुका है। हाजी मोहम्मद अकबर का कहना है कि गली की साफ सफाई के लिए उन्होंने करीब तीन साल से अपने स्तर से ही महीने में 100 रुपये प्रति घर देकर निजी तौर पर सफाई का कार्य करने के लिए कर्मचारी को रखा हुआ है। नगर निगम की ओर से साफ सफाई की व्यवस्था सुचारू नहीं की जा सकी है। यह स्थिति तब है, जबकि वर्तमान में नगर निगम की ओर से यहां के छोटे-बड़े कुल मिलाकर 20 मोहल्लों के लिए 42 सफाईकर्मी तैनात किए हुए हैं। वार्ड के लोगों का कहना है कि नगर निगम से सबसे ज्यादा साफ-सफाई की अपेक्षा की जाती है, लेकिन इसी में नगर निगम का प्रदर्शन शून्य हो चला है।
इस वार्ड में निर्माण कार्यों की स्थिति का आलम यह है कि क्षेत्रीय पार्षद अहसान अंसारी यहां की समस्याओं को लेकर महीना भर पहले नगर आयुक्त की गाड़ी के आगे लेट गए थे, जिन्हें जबरदस्ती उठाकर एक ओर किया गया था। हालांकि इस हंगामे के बाद नगर निगम की टीम भेजी गई थी, लेकिन वार्ड की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। बुनकरनगर के मुख्य मार्ग को किसी समय काली सड़क हासिल रही है। लेकिन आज की स्थिति यह है कि यहां बनाए गए खंड़जे को कई जगह से धंसा हुआ, टूटा हुआ और पानी से भरा हुआ देखा जा सकता है।
पार्षद का पक्ष: वार्ड-72 के पार्षद अहसान अंसारी का कहना है कि उनके कार्यकाल में वार्ड के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने का प्रयास किया गया है। लेकिन अवैध रूप से संचालित डेयरियों को बाहर निकलवाकर नालियों को गोबर से अवरुद्ध होने की समस्या को हल कराने में वे नाकाम रहे हैं। इसके लिए नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए अहसान अंसारी का कहना है कि महानगर के भीतरी इलाकों में डेयरियों का संचालन नहीं किया जा सकता, लेकिन निगम प्रशासन ने बार-बार मांग किए जाने के बावजूद इस दिशा में कोई कदम उठाना जरूरी नहीं समझा है। इतना जरूर है कि महीने में एक-दो बार मशीन लगाकर नालियों में जमा गोबर को हटाकर जलनिकासी बहाल की जाती है, लेकिन दो-तीन बाद हालत जस की तस हो जाती है। इसके अलावा वार्ड में नाले और सड़कों का निर्माण कराने में भी पार्षद नाकाम रहने की बात स्वीकार करते हुए कहते हैं कि एस्टीमेट बनने तक की प्रक्रिया के बाद फाइल ही गुम हो गई है। जबकि उनकी ओर से करीब ढाई करोड़ के कामों का प्रस्ताव दिया गया है। वहीं पार्षद करीब डेढ़ करोड़ की लागत से अपने क्षेत्र की कुछ नालियां, गलियां और सीवर लाइन आदि का काम कराने का दावा भी करते हैं।